kuch panne jindgi ke
आज न जाने क्यों आँखे भर आई मेरी
जब मैंने पलटे जिन्दगी के कुछ पुराने पन्ने
कुछ कितने रंगीन थे कुछ कितने सुने
चाहा था क्या मैंने
पाया है क्या मैंने
उलझ गये है सब ताने बने
मैं खुद भी भी नही रही मैं
खो गयी हु कहा न जाने
कभी हर लफ्ज़ में शामिल थी
एक खुशबू की तरह
अब हर हर्फ में एक रुआन्सपन
चल रे ओ मेरे मन
.... जो बीत गया सो सो बीत गया
अब आगे ही सोच
कुछ वरके अब भी कोरे
जिन्दगी की किताब में मेरे
एक नया इतिहास लिखना है
अपनी जिन्दगी का मुझे
अश्क पोंछकर अपने
सीपियो की कलम बनाकर
समंदर की स्याही से
मन की गहरे भावो को
लफ्ज़ देने है मैंने
आओ पढ़ लो तुम भी यारा
वोह कोरे कोरे पन्ने !!!!
जिन्दगी में वोह कोरे रह गये सपने
लिखने से रह गये जो मेरे अपने पन्ने
आज न जाने क्यों आँखे भर आई मेरी
जब मैंने पलटे जिन्दगी के कुछ पुराने पन्ने
कुछ कितने रंगीन थे कुछ कितने सुने
चाहा था क्या मैंने
पाया है क्या मैंने
उलझ गये है सब ताने बने
मैं खुद भी भी नही रही मैं
खो गयी हु कहा न जाने
कभी हर लफ्ज़ में शामिल थी
एक खुशबू की तरह
अब हर हर्फ में एक रुआन्सपन
चल रे ओ मेरे मन
.... जो बीत गया सो सो बीत गया
अब आगे ही सोच
कुछ वरके अब भी कोरे
जिन्दगी की किताब में मेरे
एक नया इतिहास लिखना है
अपनी जिन्दगी का मुझे
अश्क पोंछकर अपने
सीपियो की कलम बनाकर
समंदर की स्याही से
मन की गहरे भावो को
लफ्ज़ देने है मैंने
आओ पढ़ लो तुम भी यारा
वोह कोरे कोरे पन्ने !!!!
जिन्दगी में वोह कोरे रह गये सपने
लिखने से रह गये जो मेरे अपने पन्ने