Birth of a poetry
हर बार नही ढलते
शब्द उस सांचे में
जब लगती है दूसरों की
पीड़ा सबको अपनी .
कागज़ का टुकड़ा
छटपटाहट लिए
रोता है तब
कलम भी थक जाता है
बताकर लाचारी अपनी
मौन रह जाता है अंतर्मन
और आँखें सूनी
कोलाहल सा मच जाता है
ह्रदय में तब मेरे
कसमसाते शब्दों की
पीड़ा कैसे समझाउं अपनी
एक अक्स लकीरों का
कुछ आड़ा कुछ सीधा सा
कुछ बिलकुल सपाट लहजे में
कुछ प्रेमरस से बिंधा सा
शब्दों की गुत्थाम्गुत्थी में
प्रसव पीड़ा झेल रही है
एक छोटी सी ,एक नन्ही सी ,
.
एक प्यारी सी
. कविता मेरी अपनी
शब्द उस सांचे में
जब लगती है दूसरों की
पीड़ा सबको अपनी .
कागज़ का टुकड़ा
छटपटाहट लिए
रोता है तब
कलम भी थक जाता है
बताकर लाचारी अपनी
मौन रह जाता है अंतर्मन
और आँखें सूनी
कोलाहल सा मच जाता है
ह्रदय में तब मेरे
कसमसाते शब्दों की
पीड़ा कैसे समझाउं अपनी
एक अक्स लकीरों का
कुछ आड़ा कुछ सीधा सा
कुछ बिलकुल सपाट लहजे में
कुछ प्रेमरस से बिंधा सा
शब्दों की गुत्थाम्गुत्थी में
प्रसव पीड़ा झेल रही है
एक छोटी सी ,एक नन्ही सी ,
.
एक प्यारी सी
. कविता मेरी अपनी
शब्दों की गुथम-गुत्थी में .
जवाब देंहटाएं.प्रसव पीड़ा झेल रही है
एक छोटी सी ,एक नन्ही सी
एक प्यारी सी कविता मेरी अपनी .....
....बहुत सुंदर रचना नीलिमा जी
शब्दों की गुथम-गुत्थी में .
जवाब देंहटाएं.प्रसव पीड़ा झेल रही है
एक छोटी सी ,एक नन्ही सी
एक प्यारी सी कविता मेरी अपनी .....
....बहुत सुंदर रचना नीलिमा जी
bahutt khoobsurti sei byaa kiyaa hei
जवाब देंहटाएंshukriya satvinder ji
जवाब देंहटाएंbahut sunder panktiya likhi ,, JAB LAGTI HAI DOOSRE KEE PEEDA APNI THANKS NEELAM JII
जवाब देंहटाएंbahut bahut dhanywad ashok bhaisaheb .......
जवाब देंहटाएंsach kaha neeli...na hi un ahsason ko likh paatey hai na hi samjha paatey hai kisi ko..bas khud se khud me uljhey rah jate hai wo maun jajbaat...
जवाब देंहटाएंkavita ka janm bhi peeda jhelta hai , nahin to shabd apahij hote hain ...peeda hi sampoornta deti hai
जवाब देंहटाएंbahut sundar srujan!
जवाब देंहटाएंPrasav Peeda jhelta ye anterman....ajanme vicharon ka poshan karta...nadaan hi to hai...bhrun hatya ka intezaar.....!
जवाब देंहटाएं@kavita ....... ahsas agar pooran rup se baya ho jaye to woh ahsas na hue na ....... tthank you so much
जवाब देंहटाएं@Rashmiprabha........Thank you much ......... aapke protsahit karte shabo k lie ........
जवाब देंहटाएं@ Amit .......... kash mai tum jaisa likh pati ........Thank you so much beta
जवाब देंहटाएंAnonymous .......... bilkul ek kavita ka janm kai vicharo ka poshan karta hai to kai vicharo ki hatya bhi .......... thank you much .....agar aap apne nam se comment karte to mujhe achcha lagta
जवाब देंहटाएंये सच है, सोच के पंख कभी कभी फडफाड़ना भूल जाते हैं...
जवाब देंहटाएंऔर फिर लाख कोशिश कर लो, शब्द जुड़ नहीं पाते...
अन्दर बहुत कुछ चलते रहता है, ...लगता है बस,अब तो हो गया...
लेकिन वो जो आपने शब्द दिए हैं... वो बेहतरीन शब्द है
इसके व्यक्त करने के लिए...
"प्रसव पीड़ा झेल रही होती है कविता...."
बहुत प्यारी सी रचना...
शुभकामनायें....
Thank you so much mukesh ji.......... aapne hi kaha tha na neelima aap topic change karo kavita ka so ........parinaam aapke samne hai
जवाब देंहटाएंShabdo ka chayan aur unka prayog bohot hi satik tarike se kiya hai tumne... jo samvednao ko spasht roop de raha hai...bohot bohot bohot achhi lagi ... tumhari KAVITA....
जवाब देंहटाएंहाँ देखो,
जवाब देंहटाएंएक नई गीत की
एक नई प्रीत की
सुरीली सी आहट
हो रही है.
विरह की रात ढल चुकी अब
सुहानी सुबह हो रही है !!
@anamica..............Thank you so much ........... meri kavita tumhe pasand aai iske lie mai aapki shukguzar hu
जवाब देंहटाएंहाँ देखो,
जवाब देंहटाएंएक नई गीत की
एक नई प्रीत की
सुरीली सी आहट
हो रही है.
विरह की रात ढल चुकी अब
सुहानी सुबह हो रही है !!.itne pyare comments n protsahan k lie shukriyaa @rakesh jee
Bahut hi khubsurat kavita hai di ... hamesha ki tarah....
जवाब देंहटाएं@prabha ............ thank you so much chutki
जवाब देंहटाएंनीलिमा जी सच है, पीड़ा को समझना और उसे शब्दों में उकेरित करना कितना कठिन है ....यह अद्भुत कारनामा करना तो वही जाने, जिसने पीड़ा को अपने भीतर नहीं तो कम से कम दूसरे की पीड़ा को अपने अंतर्मन में अनुभव किया हो...सच ही किसी ने कहा भी है ...
जवाब देंहटाएं"मत पूछो यह प्रेम कवि क्यों रोता है
बस चोट इसी को लगती है,
जब दर्द किसी को होता है...!"
नीलिमा जी सच है, पीड़ा को समझना और उसे शब्दों में उकेरित करना कितना कठिन है ....यह अद्भुत कारनामा करना तो वही जाने, जिसने पीड़ा को अपने भीतर नहीं तो कम से कम दूसरे की पीड़ा को अपने अंतर्मन में अनुभव किया हो...सच ही किसी ने कहा भी है ...
जवाब देंहटाएं"मत पूछो यह प्रेम कवि क्यों रोता है
बस चोट इसी को लगती है,
जब दर्द किसी को होता है...!"
Thank you so much @nishant jee
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएं@ upasana ,,tumhara comment spam mai tha abhi dekha ......... thank you so much is kavita ko hinddi mai likhne ka ..
जवाब देंहटाएंThank you so much kailash sharma jee
जवाब देंहटाएंWow. ...Kya likhti hai aap....jawab nahi aapka! !!
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति है आपकी.
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग पर पहली दफा आया.
आपकी अनुपम भावाभिव्यक्ति ने
दिल को छू लिया.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
wahhhhhhhhhhhhhh sach neelu..bahut badhiya likha hai...
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंhttp://rhythmvyom.blogspot.com/
Bahut sundar rachna..
जवाब देंहटाएंआपकी हिंदी बहुत अच्छी है..
जवाब देंहटाएंThank you so much rakesh kumar jee
जवाब देंहटाएंjarur aapka blog parne aaongi yeh mera sobhagy hoga
neeta .......... neetu ........ shukriyaa bas isi tarah housala barati raha karo
जवाब देंहटाएंshukriya Anita jee protsahan k lie
जवाब देंहटाएंrahul.......... thanx . nhi itni bhi achchi nhi .... ab to hindlish ho gyi hai :)))
जवाब देंहटाएंआप तो बहुत ही भावपूर्ण और दिल को छू लेने वाला लिखती हैं.. सच आपकी यह रचना बहुत पसंद आई... इसे जारी रखिए...
जवाब देंहटाएंthnx swarn kanta
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