Birth of a poetry

हर बार नही ढलते
शब्द उस सांचे में
जब लगती है दूसरों की
पीड़ा सबको अपनी .
कागज़ का टुकड़ा
छटपटाहट लिए
रोता है तब
कलम भी थक जाता है
बताकर लाचारी अपनी
मौन रह जाता है अंतर्मन
और आँखें सूनी
कोलाहल सा मच जाता है
ह्रदय में तब मेरे
कसमसाते शब्दों की
पीड़ा कैसे समझाउं अपनी
एक अक्स लकीरों का
कुछ आड़ा कुछ सीधा सा
कुछ बिलकुल सपाट लहजे में
कुछ प्रेमरस से बिंधा सा
शब्दों की गुत्थाम्गुत्थी में
प्रसव पीड़ा झेल रही है
एक छोटी सी ,एक नन्ही सी ,

.
एक प्यारी सी



. कविता मेरी अपनी

टिप्पणियाँ

  1. शब्दों की गुथम-गुत्थी में .
    .प्रसव पीड़ा झेल रही है
    एक छोटी सी ,एक नन्ही सी
    एक प्यारी सी कविता मेरी अपनी .....
    ....बहुत सुंदर रचना नीलिमा जी

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  2. शब्दों की गुथम-गुत्थी में .
    .प्रसव पीड़ा झेल रही है
    एक छोटी सी ,एक नन्ही सी
    एक प्यारी सी कविता मेरी अपनी .....
    ....बहुत सुंदर रचना नीलिमा जी

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  3. bahut sunder panktiya likhi ,, JAB LAGTI HAI DOOSRE KEE PEEDA APNI THANKS NEELAM JII

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  4. sach kaha neeli...na hi un ahsason ko likh paatey hai na hi samjha paatey hai kisi ko..bas khud se khud me uljhey rah jate hai wo maun jajbaat...

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  5. kavita ka janm bhi peeda jhelta hai , nahin to shabd apahij hote hain ...peeda hi sampoornta deti hai

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  6. Prasav Peeda jhelta ye anterman....ajanme vicharon ka poshan karta...nadaan hi to hai...bhrun hatya ka intezaar.....!

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  7. @kavita ....... ahsas agar pooran rup se baya ho jaye to woh ahsas na hue na ....... tthank you so much

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  8. Anonymous .......... bilkul ek kavita ka janm kai vicharo ka poshan karta hai to kai vicharo ki hatya bhi .......... thank you much .....agar aap apne nam se comment karte to mujhe achcha lagta

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  9. ये सच है, सोच के पंख कभी कभी फडफाड़ना भूल जाते हैं...
    और फिर लाख कोशिश कर लो, शब्द जुड़ नहीं पाते...
    अन्दर बहुत कुछ चलते रहता है, ...लगता है बस,अब तो हो गया...
    लेकिन वो जो आपने शब्द दिए हैं... वो बेहतरीन शब्द है
    इसके व्यक्त करने के लिए...
    "प्रसव पीड़ा झेल रही होती है कविता...."
    बहुत प्यारी सी रचना...
    शुभकामनायें....

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  10. Thank you so much mukesh ji.......... aapne hi kaha tha na neelima aap topic change karo kavita ka so ........parinaam aapke samne hai

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  11. Shabdo ka chayan aur unka prayog bohot hi satik tarike se kiya hai tumne... jo samvednao ko spasht roop de raha hai...bohot bohot bohot achhi lagi ... tumhari KAVITA....

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  12. हाँ देखो,
    एक नई गीत की
    एक नई प्रीत की
    सुरीली सी आहट
    हो रही है.
    विरह की रात ढल चुकी अब
    सुहानी सुबह हो रही है !!‌

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  13. @anamica..............Thank you so much ........... meri kavita tumhe pasand aai iske lie mai aapki shukguzar hu

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  14. हाँ देखो,
    एक नई गीत की
    एक नई प्रीत की
    सुरीली सी आहट
    हो रही है.
    विरह की रात ढल चुकी अब
    सुहानी सुबह हो रही है !!‌.itne pyare comments n protsahan k lie shukriyaa @rakesh jee

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  15. Bahut hi khubsurat kavita hai di ... hamesha ki tarah....

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  16. नीलिमा जी सच है, पीड़ा को समझना और उसे शब्दों में उकेरित करना कितना कठिन है ....यह अद्भुत कारनामा करना तो वही जाने, जिसने पीड़ा को अपने भीतर नहीं तो कम से कम दूसरे की पीड़ा को अपने अंतर्मन में अनुभव किया हो...सच ही किसी ने कहा भी है ...
    "मत पूछो यह प्रेम कवि क्यों रोता है
    बस चोट इसी को लगती है,
    जब दर्द किसी को होता है...!"

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  17. नीलिमा जी सच है, पीड़ा को समझना और उसे शब्दों में उकेरित करना कितना कठिन है ....यह अद्भुत कारनामा करना तो वही जाने, जिसने पीड़ा को अपने भीतर नहीं तो कम से कम दूसरे की पीड़ा को अपने अंतर्मन में अनुभव किया हो...सच ही किसी ने कहा भी है ...
    "मत पूछो यह प्रेम कवि क्यों रोता है
    बस चोट इसी को लगती है,
    जब दर्द किसी को होता है...!"

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  18. बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण प्रस्तुति...

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  19. @ upasana ,,tumhara comment spam mai tha abhi dekha ......... thank you so much is kavita ko hinddi mai likhne ka ..

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  20. Wow. ...Kya likhti hai aap....jawab nahi aapka! !!

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  21. वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति है आपकी.
    आपके ब्लॉग पर पहली दफा आया.
    आपकी अनुपम भावाभिव्यक्ति ने
    दिल को छू लिया.

    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.

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  22. आपकी हिंदी बहुत अच्छी है..

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  23. Thank you so much rakesh kumar jee
    jarur aapka blog parne aaongi yeh mera sobhagy hoga

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  24. आप तो बहुत ही भावपूर्ण और दिल को छू लेने वाला लिखती हैं.. सच आपकी यह रचना बहुत पसंद आई... इसे जारी रखिए...

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