सोमवार, 29 अक्तूबर 2012
शनिवार, 27 अक्तूबर 2012
सोमवार, 22 अक्तूबर 2012
Shakti Ki Aaradhana
तुम शिवा भी हो
तुम धात्री भी
तुम क्षमा भी हो
तुम कालरात्री भी
हम नतमस्तक तुम्हे ध्यावे
तुम रूप भी हो
तुम जय भी
तुम धात्री भी
तुम क्षमा भी हो
तुम कालरात्री भी
हम नतमस्तक तुम्हे ध्यावे
तुम रूप भी हो
तुम जय भी
तुम यश भी
तुम पराजय भी
हम नतमस्तक तुम्हे ध्यावे
तुम ज्ञान भी मेरा
स्वाभिमान भी मेरा
तुम अंज्ञान भी मेरा
तुम मोहजाल भी
हम नतमस्तक तुम्हे ध्यावे
तुम जीवन के हर सुर में
तुम जीवन की लय में
तुम सरस्वती भी हो
तुम शाकम्भरी भी
तुम जनम भी हो तो काल भी
हम नतमस्तक तुम्हे ध्यावे
हे वरदायनी , हे सिंह वाहिनी वर दो
जीवन सबका खुशियों से भर दो
सुबह -शाम जो जोत जलाये
अंतस सबका आलोकित कर दो
तन-मन चरित्र पवित्र हो
हम नतमस्तक तुम्हे ध्यावे
निष्काम करे जो सब साधना
पूरण हो सबकी कामना
सत्य बने सबका सारथि
सच्चे दिल से जो करे आरती
हम नतमस्तक तुम्हे ध्यावे
..............Written by नीलिमा .Happy Durga Navmi
तुम पराजय भी
हम नतमस्तक तुम्हे ध्यावे
तुम ज्ञान भी मेरा
स्वाभिमान भी मेरा
तुम अंज्ञान भी मेरा
तुम मोहजाल भी
हम नतमस्तक तुम्हे ध्यावे
तुम जीवन के हर सुर में
तुम जीवन की लय में
तुम सरस्वती भी हो
तुम शाकम्भरी भी
तुम जनम भी हो तो काल भी
हम नतमस्तक तुम्हे ध्यावे
हे वरदायनी , हे सिंह वाहिनी वर दो
जीवन सबका खुशियों से भर दो
सुबह -शाम जो जोत जलाये
अंतस सबका आलोकित कर दो
तन-मन चरित्र पवित्र हो
हम नतमस्तक तुम्हे ध्यावे
निष्काम करे जो सब साधना
पूरण हो सबकी कामना
सत्य बने सबका सारथि
सच्चे दिल से जो करे आरती
हम नतमस्तक तुम्हे ध्यावे
..............Written by नीलिमा .Happy Durga Navmi
शनिवार, 20 अक्तूबर 2012
Suno na.......
एक बूँद पानी की
तपते सहरा में
ठंडी हवा का झोंका .
घुटती गरम दोपहर मैं
उष्मा देता सूरज
सर्दी की सुबह का
क्या क्या उपमाये गढती हूँ
तुम्हारे लिये
खामोश नज़र तुम्हारी
सब कुछ कह जाती हैं
मंद स्मित मुस्कान से
पर अनबोले लफ्जों से .
क़ी ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
तुम्हारे स्वतंत्र आयाम की नीलिमा हूँ
मैं आकाश हु तुम्हारी उडान का
मैं सोपान हु तुम्हारी पहचान का
मैं हूँ तो तुम हो तुम हो तो मैं हूँ
सुनो न ......................... आज कुछ लफ्जों मैं बयां करो मेरे लिए
गुरुवार, 18 अक्तूबर 2012
Meri kalam
mai likhti hu bas tumhare lie
mere lafz lafz mai tum ho
lakeer mai tum ho
har akas mai tum ho
tum ek gahra samander ho
mere lafz lafz mai tum ho
lakeer mai tum ho
har akas mai tum ho
tum ek gahra samander ho
mai lahro ki tarah
utar'ti , uaffanti si
tum rootho to mere lafz bolte hai
tum chaho to has dete hai
samay ki dahleez par
lafzo ne mere
anek roop badle hai
kabhi tum bahut apne lagte ho
to abhi ekdam ajnabi
fir bhi rooh mai chipakar
bikhar jaane se pahle
samet lene hai apne lafz
iss'se pahle ki jindgi
mujhe daga de jaye
bas likhana hai woh ek lafz
han , han wahi ek lafz ....
. jo mujhe tujhse jorhe hai aajtak
. mere piya yeh aam sa .i l u nhi hai
yeh rooh ka nata hai
jo lafz na kah sake
ahsas tera kah jata hai
~~~~~~~~~
मैं लिखती हूँ बस तुम्हारे लिए
मेरे लफ्ज़ लफ्ज़ में तुम हो
लकीर में तुम हो
हर अक्स में तुम हो
...
तुम एक गहरा समंदर हो
मैं लहरों की तरह
उतरती , उफनती सी
तुम रूठो तो मेरे लफ्ज़ बोलते हैं
तुम चाहो तो हस देते हैं
समय की दहलीज़ पर
लफ्जों ने मेरे
अनेक रूप बदले हैं
कभी तुम बहुत अपने लगते हो
तो कभी एकदम अजनबी
फिर भी रूह में छिपकर
बिखर जाने से पहले
समेट लेने हैं अपने लफ्ज़
इस से पहले कि जिन्दगी
मुझे दगा दे जाए ....
बस लिखना है ,वह एक लफ्ज़
हाँ , हाँ वही एक लफ्ज़ ....
. जो मुझे तुझसे जोड़े हुए है आज-तक
. मेरे पिया यह आम सा ,I L u नहीं है
यह रूह का नाता है
जो लफ्ज़ ना कह सके
अहसास तेरा कह जाता है ...........
.
utar'ti , uaffanti si
tum rootho to mere lafz bolte hai
tum chaho to has dete hai
samay ki dahleez par
lafzo ne mere
anek roop badle hai
kabhi tum bahut apne lagte ho
to abhi ekdam ajnabi
fir bhi rooh mai chipakar
bikhar jaane se pahle
samet lene hai apne lafz
iss'se pahle ki jindgi
mujhe daga de jaye
bas likhana hai woh ek lafz
han , han wahi ek lafz ....
. jo mujhe tujhse jorhe hai aajtak
. mere piya yeh aam sa .i l u nhi hai
yeh rooh ka nata hai
jo lafz na kah sake
ahsas tera kah jata hai
~~~~~~~~~
मैं लिखती हूँ बस तुम्हारे लिए
मेरे लफ्ज़ लफ्ज़ में तुम हो
लकीर में तुम हो
हर अक्स में तुम हो
...
तुम एक गहरा समंदर हो
मैं लहरों की तरह
उतरती , उफनती सी
तुम रूठो तो मेरे लफ्ज़ बोलते हैं
तुम चाहो तो हस देते हैं
समय की दहलीज़ पर
लफ्जों ने मेरे
अनेक रूप बदले हैं
कभी तुम बहुत अपने लगते हो
तो कभी एकदम अजनबी
फिर भी रूह में छिपकर
बिखर जाने से पहले
समेट लेने हैं अपने लफ्ज़
इस से पहले कि जिन्दगी
मुझे दगा दे जाए ....
बस लिखना है ,वह एक लफ्ज़
हाँ , हाँ वही एक लफ्ज़ ....
. जो मुझे तुझसे जोड़े हुए है आज-तक
. मेरे पिया यह आम सा ,I L u नहीं है
यह रूह का नाता है
जो लफ्ज़ ना कह सके
अहसास तेरा कह जाता है ...........
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सृष्टि का अंत हैं
इश्वर तू अनंत हैं
तम हैं अंतस में
आलोक की तलाश में ........" आवाज़ दे कहाँ है
हस्तिनापुर सा बना भारत
कोरवो की भीड़ हैं
दुर्योधन अनेक रूप में
पांड्वो की तलाश हैं ....................." आवाज़ दे कहाँ है
शुभ- निशुम्भ भी
तो महिषसुर भी यहाँ
रक्तबीज अनेक हैं
बस शक्ति की तलाश हैं ...." आवाज़ दे कहाँ है
रावण हैं यहाँ तो मेघनाद भी
कुम्ब्करण की तरह सोता समाज हैं
सीता का हरण होता हर रात हैं
एक राम की तलाश हैं ..................." आवाज़ दे कहाँ है
ज्योतिमय पुंज बनो
तम को तुम हरो
आलोकित अंतस करो
मेरे प्यारे रब हमें उस
एक चमत्कार की तलाश हैं.............." आवाज़ दे कहाँ है
इश्वर तू अनंत हैं
तम हैं अंतस में
आलोक की तलाश में ........" आवाज़ दे कहाँ है
हस्तिनापुर सा बना भारत
कोरवो की भीड़ हैं
दुर्योधन अनेक रूप में
पांड्वो की तलाश हैं ....................." आवाज़ दे कहाँ है
शुभ- निशुम्भ भी
तो महिषसुर भी यहाँ
रक्तबीज अनेक हैं
बस शक्ति की तलाश हैं ...." आवाज़ दे कहाँ है
रावण हैं यहाँ तो मेघनाद भी
कुम्ब्करण की तरह सोता समाज हैं
सीता का हरण होता हर रात हैं
एक राम की तलाश हैं ..................." आवाज़ दे कहाँ है
ज्योतिमय पुंज बनो
तम को तुम हरो
आलोकित अंतस करो
मेरे प्यारे रब हमें उस
एक चमत्कार की तलाश हैं.............." आवाज़ दे कहाँ है
सोमवार, 8 अक्तूबर 2012
क्या संबोधन दू?
आप......
फिर एक बड़प्पन सा
पसरा रहेगा उम्र भर हमारे मध्य
हिचक सी रहेगी कुछ भी कहने में
आप......
फिर एक बड़प्पन सा
पसरा रहेगा उम्र भर हमारे मध्य
हिचक सी रहेगी कुछ भी कहने में
.
.
.
.
तुम!!
नया सा है हमारा सम्बन्ध
फिर एक खुलापन
सा रहेगा इसमें
बिंदास सा हो जायेगा रिश्ता
हमारा .
.
.
.
. तू
इसमें नकारात्मकता है
नही ऐसे तो में कभी नही
हो पाऊंगी तुम्हारी
न ही तुम मेरे
तो अब क्या हो ?
में नाम से पुकारूंगी
आप भी मेरा कोई नाम रख लो
अपना अपना वजूद लिए हम
उम्र भर रहेगे एक दुसरे के
इस आप. तुम .तू की ओपचारिकता में क्यों पड़ना ?.........नीलिमा
.
.
.
कस्तूरी में प्रकाशित एक रचना
.
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तुम!!
नया सा है हमारा सम्बन्ध
फिर एक खुलापन
सा रहेगा इसमें
बिंदास सा हो जायेगा रिश्ता
हमारा .
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. तू
इसमें नकारात्मकता है
नही ऐसे तो में कभी नही
हो पाऊंगी तुम्हारी
न ही तुम मेरे
तो अब क्या हो ?
में नाम से पुकारूंगी
आप भी मेरा कोई नाम रख लो
अपना अपना वजूद लिए हम
उम्र भर रहेगे एक दुसरे के
इस आप. तुम .तू की ओपचारिकता में क्यों पड़ना ?.........नीलिमा
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कस्तूरी में प्रकाशित एक रचना
बिस्तर की सलवटे भी एक कहानी कहती हैं
........................
अब हर सिलवट पेम कहानी की बयानी नही होती
कुछ राजा- रानी की कहानी नही होती
बिस्तर की सलवट कुछ ख़ामोशी बयां करती हैं
मन में चलते तूफ़ान बिस्तर पर बवंडर लाते हैं
........................
अब हर सिलवट पेम कहानी की बयानी नही होती
कुछ राजा- रानी की कहानी नही होती
बिस्तर की सलवट कुछ ख़ामोशी बयां करती हैं
मन में चलते तूफ़ान बिस्तर पर बवंडर लाते हैं
कुछ सलवटे भविष्य की कहानी होते हैं
अगले पल क्या होगा सोचती जवानी हैं ......
कुछ सलवटे अतीत की जंग लगी कील
बस गढ़ी रहती हैं सीने में
और रात के तीसरे पहर में दर्द करती हैं
कुछ सलवटे बेवफाई की होती हैं
टूट कर चाह ने वालो की रुसवाई होती हैं
बिस्तर की सलवटे अपनों की बेअदबी भी होती हैं
बिस्तेर की सलवटे टूटी नींद में भी रहती हैं
अब सलवटे कभी खामोश रहती हैं
कभी चीख चीख कर बया करती हैं अपने होने की कहानी
पर हर सिलवट कहती हैं बस एक कहानी ............
किसी के ख्वाब टूटे हैं
किसी के अपने रूठे हैं
किसी के वादे झूठे हैं
किसी के अरमान लुटे हैं ..........................
हर सिलवट की अपनी हैं कहानी
हर सिलवट नही कहती कोई एक प्रेम कहानी ........................
अगले पल क्या होगा सोचती जवानी हैं ......
कुछ सलवटे अतीत की जंग लगी कील
बस गढ़ी रहती हैं सीने में
और रात के तीसरे पहर में दर्द करती हैं
कुछ सलवटे बेवफाई की होती हैं
टूट कर चाह ने वालो की रुसवाई होती हैं
बिस्तर की सलवटे अपनों की बेअदबी भी होती हैं
बिस्तेर की सलवटे टूटी नींद में भी रहती हैं
अब सलवटे कभी खामोश रहती हैं
कभी चीख चीख कर बया करती हैं अपने होने की कहानी
पर हर सिलवट कहती हैं बस एक कहानी ............
किसी के ख्वाब टूटे हैं
किसी के अपने रूठे हैं
किसी के वादे झूठे हैं
किसी के अरमान लुटे हैं ..........................
हर सिलवट की अपनी हैं कहानी
हर सिलवट नही कहती कोई एक प्रेम कहानी ........................
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