रविवार, 30 अगस्त 2015

माँ के आखिरी लफ्ज़

कान
 तरस  रहे हैं 
 सुन'ने को 
 कब आओगी ?
 छुट्टियां  हैं न बच्चो की 
   आजकल  गर्मी तो होने लगी हैं 
   फिर भी ,  मेरी आँखे  ठंडी करने आ जाओ 
 मन तरसता हैं मेरा 
 देखने को  बच्चो को 
 उनको तो मिलवा जाओ 
 आम  तरबूज़ और खरबूजे 
 सबके साथ अच्छे लगते हैं 
   घर में  रौनक आती हैं 
 जब बेटो  के बच्चो संग 
तेरे बच्चे हँसते हैं 
 कितना भी तू कॉन्टिनेंटल  मुगलई बना ले
 आज भी भाते बच्चो को मेरे हाथो के पराठे 
  अब ना मत कहना  नही सुन'नई मुझे  तेरी बातें
 माँ का घर हैं तेरा , पूरे से हक़ से आजाओ 
 ना जाने कितनी उम्र हैं बाकी 
 कुछ दिन मन   का   अपने कर जाओ 
 फिर घर होगा  धागे सा 
 ना तेरा न मेरा होगा 
 रिश्ते होंगे नाते होंगे 
 दीवार पर तस्वीर सा मेरा डेरा होगा 
 जितना धागा  होगा उतने रिश्ते कच्चे होंगे 
 बुलाकर सब बुलाये भी तो  माँ से नही  पराठे होंगे 
 कच्ची पक्की  बातें होंगी  सोँधपन सा गायब होगा 
 अब तो समझ ले बिटिया रानी 
 तब यह घर न तेरा होगा 
 अगली गर्मी रहूँ न रहूँ 
इक बार तो मार  ले फेरा 
फिर तो सब रिश्ते होंगे 
न घर होगा तेरा 
 न माँ रहेगी ना बाप रहेगा 
क्या पता बदल के रिश्ता 
कहदे  बेरुखी से 
तू कौन  मैं
कौन तेरा 





आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु

सोमवार, 24 अगस्त 2015

मुश्किल रास्ता







कैसे घूरता हैं वोह नुक्कड़ पर खड़ा लड़का 
घर से स्कूल जाती नव्योवना को 
नीली चुन्नी को देह पर लपेटे 
छिपाने की कोशिश में 
अपने अंग-प्रत्यंग को 
अक्सर मिल जाती हैं उसकी नजर
उन घूरती नजरो से
और टूट जाता हैं
उसके साहस का पहाड़
और उसकी देह
लगा देती है दौड़
पञ्च मीटर की
सेकंड के पांच सोवे हिस्से में
उसके बाद घंटो लगते हैं
उसे सहेजने में
समेटने मेंअपनी बिखरी सांसो को
कल भी तो होगा न
नुक्कड़ पर खड़ा लड़का
और एक बार फिर .....
बिखरेगी उसकी साँसे
दौड़ लगाएगी उसकी कमजोर टाँगे
लड़की होना आसान नही होता .......





















आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु