गलती और गुनाह
फ़र्क़ होता हैं
दोनों में
जिसे तुम गलती भी नही कहते
कई बार गुनाह होता हैं
दूसरो की नजर में
और कई बार गुनाह भी
छिप जाते हैं
गलतियों की आड़ लेकर
अहंकार अभिमान
और क्रोध
अहंब्रह्मास्मि
जैसी सोच
करदेती हैं रिश्ते को
तार -तार
आज अहसास नही
इस पारदर्शी डोर के टूटने का
लेकिन वक़्त
गलतियों को गुनाह साबित कर ही देता हैं
एक दिन। ………………………………………… नीलिमा शर्मा निविया
आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु
आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु