मूक अवाक् निशब्द माँ
और उसके सामने
उसकी अपनी जायी संतान
बूढ़े कापते हाथो से आज
कीमती कांच की बरनी छूट गयी
चुपके से लड्डू निकलते हुए
अपने और अपने पोते के लिए
बहु की जुबां और बेटे के हाथ
दोनों का वार चुभ गया
आग लग गयी सीने में
पानी आगया आँखों में
आंसू का सबब
बेटे के हाथ उठने की
शर्म से था या
बरनी के टूटने के
अफ़सोस से
या लड्डू न मिलने से
पोता अभी तक सोच
रहा हैं .दादी के उंगुली थामे
चुपके से बालकोनी में ..........................Neelima sharma