पत्थर तेरे सीने में भी हैं
उनके जख्म मेरी रूह पर भी
तुम कहानिया बनाना जानते
और मैं लिखना
तुम शोरमचाना जानते
और मैं मौन रहना
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हम साथ साथ हैं
जिन्दगी के हर मुकाम पर
दोस्त बनकर ......
आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु