गुरुवार, 28 अगस्त 2014

हम साथ साथ हैं



पत्थर तेरे सीने में भी हैं 
उनके जख्म मेरी रूह पर भी 
तुम कहानिया बनाना जानते 
और मैं लिखना 
तुम शोरमचाना जानते 
और मैं मौन रहना 
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हम साथ साथ हैं 
जिन्दगी के हर मुकाम पर

दोस्त बनकर ......


आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु

जिन्दगी

तेरे होने से यु गुलज़ार हुयी जिन्दगी 
लगने लगी अब हमें खुशगवार जिन्दगी 
इतने थपेड़े खाए थे हमने इस्सके पहले 
कि लगने लगी थी हमें , बेज़ार
जिन्दगी






आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु