मंगलवार, 18 जुलाई 2017

सफ़ेद कुरता




अब तुम कही भी नही हो
कही भी नही
ना मेरी यादो में
न मेरी बातो में

अब मैं मसरूफ रहती हूँ
दाल के कंकड़ चुन'ने में
शर्ट के दाग धोने में
क्यारी में टमाटर बोने में

एक पल भी मेरा
कभी खाली नही होता
जो तुझे याद करूँ
या तुझे महसूस करू

मैंने छोड़ दिए
नावेल पढने
मैंने छोड़ दिए है
किस्से गढ़ने

अब मुझे याद रहता हैं बस
सुबह का अलार्म लगाना
मुंह अँधेरे उठ चाय बनाना
और सबके सो जाने पर
उनको चादर ओढ़ाना

आज तुमको यह कहने की
क्यों जरुरत आन पढ़ी हैं
सामने आज मेरी पुरानी
अलमारी खुली पड़ी हैं

किस्से दबे हुए हैं जिस में
कहानिया बिखरी सी
और उस पर मुह चिडाता
तेरा उतारा सफ़ेद कुरता भी

नही नही !!अब कही भी नही हो
न मेरी यादो में न मेरी बातो में
फिर भी अक्सर मुझको सपने में
यह कुरता क्यों दिखाई देता हैं ......
#nivia
#neelima








आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु

अक्षर मेरी धड़कन








अक्षर गुम गये हैं
और ख़तम हो गयी स्याही
और
मन में बहते
भाव के स्त्रोत्र
सूख गये हैं 


तुम जानते थे ना
मैं जिस दिन ना लिखू
अधूरी सी रहती हूँ
न कोई सिंगार अच्छा लगता हैं
न कोई भी मनुहार

तुम मुझे एक वक़्त का खाना मत देना
मुझे दे देना कुछ वक़्त
बस जो सिर्फ मेरा हो
जी लूँ उसमें दिल से दिल को

अक्षर मेरी धड़कन हैं
स्याही मेरा खून
मुझे लिखने को कह दो ना
दिल से


मत ख़राब करो मेरी बची खुची जून
तुम नाराज हो मेरे लिखने से
मैं बीमार हूँ न लिखने से
यह लिखना ही मेरी चिकित्सा हैं
लिखना ही मेरा जूनून


शब्द -दर शब्द दवा असर करती हैं
स्याही खून बनाती हैं
मैं हूँ तेरे होने से
तू हैं मेरे होने से
और तेरा मेरा होना
और मेरा भाव भीना रहना
बस चंद कडवी गोलियों का नही
अक्षरों का मोहताज हैं


.आज मेरे लफ्ज़ लौटा दो मुझको
अपनी जिन्दगी के लिय





















आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु