शुक्रवार, 30 अगस्त 2013

इस से अच्छे वफादार ताले / कामगार कहा मिलेंगे ..........

सुबह से
मुह अँधेरे
काम करती माँ
नाश्ता बनाने से
टिफ़िन पैक करने तक 


शाम तलक
बिखरा
घर सम्हालती माँ
रात की सब्जी से
सुबह पहने जाने वाले
कपड़ो की प्रेस्सिंग तक


फिर भी
घर चलाते हैं
आजकल के बेटे / बहु
अपनी कमाई से
सुविधाए जो दे रहे माँ- बाप को
शहर में ए। सी, टेलीविज़न और कार तक


इस से अच्छे वफादार ताले / कामगार कहा मिलेंगे ..........


नीलिमा शर्मा

गुरुवार, 29 अगस्त 2013

ख़ामोशी भी कितनी बातूनी

सिर्फ एक पल को अभी आँगन में अपनी उदास अकेली मायूस नखरीली ख़ामोशी को पुकारा पुचकारा सहलाया दुलराया और फिर आसमा को देख चाँद तारो से भरा गुफ्तगू करने लगी खुद ही ख़ामोशी से
ख़ामोशी भी कितनी बातूनी हो जाती हैं ना .................. मौका मिलते ही .............. नीलिमा

बुधवार, 14 अगस्त 2013

मत रो भारत माता

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाये
मत रो भारत माता
आज देख बिखर रहा है तेरा परिवार

सबने अपने अपने बाँट लिए है कोने
सबको फ़िक्र है तो बस अपने खुद के हिस्से की
वह कमाता है तो अपने हिस्से के लिए 
जब कुछ टूट जाये उसके हिस्से का तो
भरपाई तुझसे करने को है कहता

पर्वत टूट रहे जो दीवार थे तेरे घर की
सरके जो फर्श हो गयी आज बदहाल
तेरे ही अपने सपूतो की लालची
नियत का यह सब कमाल है

सोना उपजने वाली माँ
अब तेरे खुद के बच्चे है भूखे
ठिठुरती ठण्ड में तेरे सपूत
जंग जिनके लिये है लड़ते ...............गद्दार हुए है कुछ बच्चे
वोट मिले थे जिनको सच्चे
तेरा ही सब धन अब
स्विस बैंक में है भरते

अपने घर के आगन देख
किलकारिया गूजती थी जहाँ
आज चीत्कार लबो पर
सीना छलनी है करती

मेहमान जहाँ पर
भगवन होता था कभी
लोट खसोट कर आज उसको
रुसवा तुझको है करते

दरवाज़े तेरे घर के
अब नही रहे सुरक्षित
हिमालय ने फ़र्ज़ निभाया
समंदर से मौजे दुश्मन है भरते

ओ जगत जननी भारत माता
उठ जाग ! जरा रोद्र रूप में आ
जो भटक रहे है तेरे बच्चे
उनको जरा सही राह पर ला

आने वाली नयी पीढ़ी
क्या सीखेगी इन सबसे
यह जो तेरे पूत कपूत हुए है
हमें निजात दिला इन सबसे ....................ओ दुनिया मत हो यूँ मतवाली
यह घर नही टूटने वाला
वह देख इस पवन धरती पर
आने वाली नस्ल का नया उजाला है

भारत माता लाख हो तेरे कपूत यहाँ
तेरा कोई एक पूत हो जाये अगर सपूत
इस आगन की तो बात ही क्या
दुनिया में तेरा परचम लहराने वाला है

पर भारत माता जरा देख तो सही
तेरे आगन में हो रहा क्या गढ़ बढ़ झाला है ............नीलिमा शर्मा

Happy Independence Day

रविवार, 11 अगस्त 2013

क्या फर्क पडा शहीद हो गया एक और सिपाही

लो
शहीद हो गया 
एक और सिपाही 
सरहद पर हुए हमले में 
एक अरब की आबादी थी 
क्या फर्क पडा 
कह दिया किसी ने 

आज रक्त से संना हैं
भारत माता की
चिट्टी चुन्नी का कोना
जिस'से पोंछा करते थे सैनिक
घाव हमारे सीने पर लगे
दुश्मनों के लगाये हुए
आज भारत माता सिसक रही हैं
खून के आंसुओ से
कब तक छुपाये
इस रक्तरंजित दुपट्टे को
और कैसे कह आये शहीदों के घर
कि ओढ़ लो तुम अब सफ़ेद दुपट्टा
यतीम बच्चो को सीने से लगाकर
मैं बेबस हो गयी हूँ
कायर सरपरस्त पाकर
जो अब इनकी शहादत /बलिदान
दो बूँद आंसू /एक सम्मान की हकदार भी नही
मैं शर्मिंदा हूँ अब .पर नतमस्तक इनके त्याग पर.नीलिमा 



Pakistan Army द्वारा किए गए हमले मे एकमात्र जीवित बचे घायल रामनिवास
जी का आज एम्स के ICU मे देहांत हो गया......!!

कैक्टस

जाने क्यों 
लोगो की फितरत 
काँटों सी होने लगी हैं 
 वक़्त के साथ 
आँगन में अब 
 फूल नही 
 केक्टस  
देखायी  देते हैं 
 जिसकी फितरत 
 दुष्ट लोगो सी होती हैं 
 फूल तो उन पर भी खिलते हैं 
पर  प्यार से छू  देने पर भी 
 चुभ जाते हैं भीतर तक 
 मुझे तो आज भी 
 फूल(दोस्त) ही पसंद हैं 
 गेंदे के 
  चंपा के 
 चमेली के जैसे 
 भीनी भीनी खुशबू
 ( स्वाभाव)वाले 
 कम से कम 
 काँटों /केकटस  की सी 
 फितरत तो नही रखते .नीलिमा शर्मा