क्या फर्क पडा शहीद हो गया एक और सिपाही
लो
शहीद हो गया
एक और सिपाही
सरहद पर हुए हमले में
एक अरब की आबादी थी
क्या फर्क पडा
कह दिया किसी ने
आज रक्त से संना हैं
भारत माता की
चिट्टी चुन्नी का कोना
जिस'से पोंछा करते थे सैनिक
घाव हमारे सीने पर लगे
दुश्मनों के लगाये हुए
आज भारत माता सिसक रही हैं
खून के आंसुओ से
कब तक छुपाये
इस रक्तरंजित दुपट्टे को
और कैसे कह आये शहीदों के घर
कि ओढ़ लो तुम अब सफ़ेद दुपट्टा
यतीम बच्चो को सीने से लगाकर
मैं बेबस हो गयी हूँ
कायर सरपरस्त पाकर
जो अब इनकी शहादत /बलिदान
दो बूँद आंसू /एक सम्मान की हकदार भी नही
मैं शर्मिंदा हूँ अब .पर नतमस्तक इनके त्याग पर.नीलिमा
Pakistan Army द्वारा किए गए हमले मे एकमात्र जीवित बचे घायल रामनिवास
जी का आज एम्स के ICU मे देहांत हो गया......!!
शहीद हो गया
एक और सिपाही
सरहद पर हुए हमले में
एक अरब की आबादी थी
क्या फर्क पडा
कह दिया किसी ने
आज रक्त से संना हैं
भारत माता की
चिट्टी चुन्नी का कोना
जिस'से पोंछा करते थे सैनिक
घाव हमारे सीने पर लगे
दुश्मनों के लगाये हुए
आज भारत माता सिसक रही हैं
खून के आंसुओ से
कब तक छुपाये
इस रक्तरंजित दुपट्टे को
और कैसे कह आये शहीदों के घर
कि ओढ़ लो तुम अब सफ़ेद दुपट्टा
यतीम बच्चो को सीने से लगाकर
मैं बेबस हो गयी हूँ
कायर सरपरस्त पाकर
जो अब इनकी शहादत /बलिदान
दो बूँद आंसू /एक सम्मान की हकदार भी नही
मैं शर्मिंदा हूँ अब .पर नतमस्तक इनके त्याग पर.नीलिमा
Pakistan Army द्वारा किए गए हमले मे एकमात्र जीवित बचे घायल रामनिवास
जी का आज एम्स के ICU मे देहांत हो गया......!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज सोमवार (12-08-2013) को गुज़ारिश हरियाली तीज की : चर्चा मंच 1335....में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शास्त्री जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद कि आपने हमारे लिखे शब्दों को इतना मान दिया
हटाएंविचारणीय पोस्ट
जवाब देंहटाएंशुक्रिया वंदना जी
हटाएंएक अरब की आबादी थी
जवाब देंहटाएंक्या फर्क पडा
कह दिया किसी ने
कहने में किसी का क्या जाता है
जीभ में हड्डी थोड़े होती है
कोई ख़ुद का सगा जाये
तो
ना पता चले ........
मैं(भी)शर्मिंदा हूँ अब .पर नतमस्तक इनके त्याग पर
शुक्रिया विभा जी
हटाएंशुक्रिया यशोदा जी आपने हमारे लिखे शब्दों को इतना मान दिया
जवाब देंहटाएंआपने सच कहा संवेदनाये अब हमारे अंदर रही ही नहीं,
जवाब देंहटाएंshukriya shorya ji
हटाएंबहुत मर्मस्पर्शी । शहीदों को नमन ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया संगीता जी
हटाएंसंवेदनहीनता की पराकाष्ठा !
जवाब देंहटाएंशुक्रिया प्रतिभा जी
हटाएंइस रक्तरंजित दुपट्टे को
जवाब देंहटाएंऔर कैसे कह आये शहीदों के घर
कि ओढ़ लो तुम अब सफ़ेद दुपट्टा
यतीम बच्चो को सीने से लगाकर
मैं बेबस हो गयी हूँ....दिल छूने वाली प्रस्तुति
रश्मि जी शुक्रिया
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