अब कौन लिखेगा वक़्त के होंठो पर प्रेम गीत
ओह ...बहुत ही दुखद है ...विशवास नहीं हो रहा
जिन्दगीगुजर रही हैं
काले
सन्नाटो से
और मैं जान ना चाहती थी
यह काले सन्नाटे क्या होते हैं भला
क्या सन्नाटो के भी कोई रंग होते हैं ?
तुमने कहा था ....................हाँ !!
सन्नाटे भी रंग लिय होते हैं
जिस दिन रंगीन सन्नाटे होते हैं मेरे इर्द गिर्द
उस दिन जन्म लेती हैं एक प्रेम कविता
कभी विरह से डूबी तो तो कभी प्रेम से परिपूर्ण
पर आजकल मेरे इर्द गिर्द स्याह सन्नाटे हैं
और मेरी कविता गुम हैं कही
और मैं इतना खुदगर्ज़ हूँ
कविता को कभी आवाज़ नही लगाता
उसे आना होगा तो खुद आएगी
आज कल सुनता हूँ बटालवी को
बिरहा का सुलतान
मुझे बुलाता हैं अपने पास
उसके पास जाकर पूछना हैं
उसकी दिलकश
आवाज़ में छिपे दर्द को
उसके लफ्जों में बसी
उदासी को
शायद उसने भी मेरी तरह
सन्नाटो में बितायी होगी जिन्दगी
स्याह सन्नाटो में। …………
सुनो मित्र !! तुम देखना
इतिहास में
अच्छे कवि छोटी उम्र के होते है। …………………….
और मेरे मित्र कहते हैं मैं अच्छा लिखता हूँ
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दीपक अरोरा जी ................................
और आपने अपनी जिन्दगी के दिन गिने ही क्यों। ……
हमेशा याद रहेंगे आप अपनी कविताओ के लिय
अपनी दोस्ती के लिय
भावभीनी श्रद्धाँजलि..ईश्वर आपकी आत्मा को शान्ति दे और परिवार को इस दुःख से उबरने की सामर्थ्य दें !!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (16-09-2013) गुज़ारिश प्रथम पुरूष की :चर्चामंच 1370 में "मयंक का कोना" पर भी है!
हिन्दी पखवाड़े की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आज शुक्रिया नही कहूँगी शास्त्री जी क्योकि इश्वर न करे मुझे कभी भी किसी मित्र के लिय इस तरह श्र्ध्हांजलि सन्देश लिखने पड़े .....दीपक अरोरा जी ................................
हटाएंऔर आपने अपनी जिन्दगी के दिन गिने ही क्यों। ……
हमेशा याद रहेंगे आप अपनी कविताओ के लिय
अपनी दोस्ती के लिय
भावभीनी श्रद्धाँजलि..ईश्वर आपकी आत्मा को शान्ति दे और परिवार को इस दुःख से उबरने की सामर्थ्य दें !!! —.
नमस्कार आपकी यह रचना आज सोमवार (16-09-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंआज शुक्रिया नही कहूँगी अरुण जी क्योकि इश्वर न करे मुझे कभी भी किसी मित्र के लिय इस तरह श्र्ध्हांजलि सन्देश लिखने पड़े .....दीपक अरोरा जी ................................
हटाएंऔर आपने अपनी जिन्दगी के दिन गिने ही क्यों। ……
हमेशा याद रहेंगे आप अपनी कविताओ के लिय
अपनी दोस्ती के लिय
भावभीनी श्रद्धाँजलि..ईश्वर आपकी आत्मा को शान्ति दे और परिवार को इस दुःख से उबरने की सामर्थ्य दें !!! —.
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
जवाब देंहटाएंसन्नाटो को केन्द्रित कर बहुत ही भावपूर्ण कविता की प्रस्तुति की है आपने, आभार आपका।
जवाब देंहटाएंगहन भाव लिए अच्छी रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
दीपक जी को भावपूर्ण श्रधांजलि ...
जवाब देंहटाएंदीपक जी को भावपूर्ण श्रधांजलि ...
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लागर्स चौपाल में शामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - शनिवार हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल :007 http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/ लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर ..
उपासना इस पोस्ट पर किसी को शुक्रिया नही कहूँगी ...मुझे नही लिखना कभी भी किसी के लिय शोक सन्देश !!!
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