इबारत पढना कभी मेरे दिल की
मुचड़े कागज पर लिखी इबारते
कभी पढ़ी हैं क्या
किसी ने ?
आंसुओ से सरोबार
हर लफ्ज़ होता हैं
सीली सी महक
अन्दर तक भिगो देती हैं
साफ कागज पर लिखे शब्द
अक्सर
छुपा लेते हैं
अपने भीगे अहसास
झूठ और कृत्रिम
लबादा पहन कर
कभी पढ़ी हैं क्या
किसी ने ?
आंसुओ से सरोबार
हर लफ्ज़ होता हैं
सीली सी महक
अन्दर तक भिगो देती हैं
साफ कागज पर लिखे शब्द
अक्सर
छुपा लेते हैं
अपने भीगे अहसास
झूठ और कृत्रिम
लबादा पहन कर
आज मेरे चारो तरफ बिखरे हैं
मुचड़े कागज
आप पढ़िए न
सफ़ेद कोरे कागज पर लिखे
मेरे कुछ लफ्ज़ ..............................
नीलिमा शर्मा Niviya
मुचड़े कागज
आप पढ़िए न
सफ़ेद कोरे कागज पर लिखे
मेरे कुछ लफ्ज़ ..............................
नीलिमा शर्मा Niviya
आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु
नीलिमा जी , आपका ब्लाग आज देख सकी हूँ . कविता बड़ी भावपूर्ण है . सचमुच आँसुओं से भीगे कागज की इबारत पढ़ने लायक पढ़ाई सब कहाँ कर पाते हैं . यह नियामत किसी किसी को ही मिलती है . आपने मेरे ब्लाग का पता पूछा है .मेरा मुख्य ब्लाग है --yehmerajahaan blogspot.com .इसी में कथा-कहानी और विहान ब्लागों की लिंक दी हुई है . आपने कहानी पढ़ी .मुझे बहुत खुशी हुई .
जवाब देंहटाएंshukriyaa girija ji jald aapke blog par aati hun
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (11-07-2015) को "वक्त बचा है कम, कुछ बोल लेना चाहिए" (चर्चा अंक-2033) (चर्चा अंक- 2033) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार आपका शास्त्री जी
हटाएंबहुत अच्छी रचना...
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