मोहताज
धुंधला रहे हैं किताबो में लिखे हर्फ
कांप रहे हाथ कटोरी को थामते हुए
लकीरे बना चुकी हैं अपना साम्राज्य
पेशानी और आँखों के इर्द गिर्द
यह उम्र दराज़ होना भी
कितना दर्द देता हैं
कभी कहा जाता हैं तुम आराम करो
दुनिया दारी बहुत कर ली
कभी कहा जाता हैं बहुत
जी लिया अपने मन का
अब हमें भी जीने दो
उम्र के इस मोड़ पर
जरुरत भी होती हैं
इस गैर जरुरी देह की
हर रिश्ते में एक पारदर्शी
दीवार दिखती हैं
अपनी ही जाई ओउलाद
परायी दिखती हैं
घर की देख रेख में
घर को बनाने में
एक उम्र गुजार देने वाले
यह बूढ़े लोग
मोहताज हो जाते हैं
सिर्फ एक कोने के लिय
अपने मन के कोने के लिय .............................. ....... नीलिमा शर्मा
आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु
कांप रहे हाथ कटोरी को थामते हुए
लकीरे बना चुकी हैं अपना साम्राज्य
पेशानी और आँखों के इर्द गिर्द
यह उम्र दराज़ होना भी
कितना दर्द देता हैं
कभी कहा जाता हैं तुम आराम करो
दुनिया दारी बहुत कर ली
कभी कहा जाता हैं बहुत
जी लिया अपने मन का
अब हमें भी जीने दो
उम्र के इस मोड़ पर
जरुरत भी होती हैं
इस गैर जरुरी देह की
हर रिश्ते में एक पारदर्शी
दीवार दिखती हैं
अपनी ही जाई ओउलाद
परायी दिखती हैं
घर की देख रेख में
घर को बनाने में
एक उम्र गुजार देने वाले
यह बूढ़े लोग
मोहताज हो जाते हैं
सिर्फ एक कोने के लिय
अपने मन के कोने के लिय ..............................
आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (03-11-2015) को "काश हम भी सम्मान लौटा पाते" (चर्चा अंक 2149) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'