जिन्दगी
तेरे होने से यु गुलज़ार हुयी जिन्दगी
लगने लगी अब हमें खुशगवार जिन्दगी
इतने थपेड़े खाए थे हमने इस्सके पहले
कि लगने लगी थी हमें , बेज़ार
जिन्दगी
आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु
लगने लगी अब हमें खुशगवार जिन्दगी
इतने थपेड़े खाए थे हमने इस्सके पहले
कि लगने लगी थी हमें , बेज़ार
जिन्दगी
आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु
बढ़िया मुक्तक
जवाब देंहटाएंबहुत प्रभावी मुक्तक...
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