तन्हाई
सुनो!!!
यु तनहा रहने का
शउर
सबको नही आता
तनहा होना अलग होता हैं
अकेले होने से
और
मैं तनहा हूँ
क्युकी तुम्हारी यादे
तुम्हारी कही /अनकही बाते
मुझे कमजोर करती हैं
लेकिन
तुम्हारी हस्ती
मेरे वजूद में एक हौसला सा बसती है
परन्तु
यह
तन्हाई
सिर्फ मेरे हिस्से में ही नही आई हैं
तेरी हयात में इसने जगह बनायीं हैं
सुनो!!!
यु तनहा रहने का
शउर
सबको नही आता !
तनहा होने में
घंटो खुद को खोना होता हैं
रोते रोते हँसना होता हैं
दामन में भरे हो चाहे कितने कांटे
फूलो की तरह महकना होता हैं.......
यु तनहा रहने का
शउर
सबको नही आता
तनहा होना अलग होता हैं
अकेले होने से
और
मैं तनहा हूँ
क्युकी तुम्हारी यादे
तुम्हारी कही /अनकही बाते
मुझे कमजोर करती हैं
लेकिन
तुम्हारी हस्ती
मेरे वजूद में एक हौसला सा बसती है
परन्तु
यह
तन्हाई
सिर्फ मेरे हिस्से में ही नही आई हैं
तेरी हयात में इसने जगह बनायीं हैं
सुनो!!!
यु तनहा रहने का
शउर
सबको नही आता !
तनहा होने में
घंटो खुद को खोना होता हैं
रोते रोते हँसना होता हैं
दामन में भरे हो चाहे कितने कांटे
फूलो की तरह महकना होता हैं.......
दामन में भरे हो चाहे कितने कांटे
जवाब देंहटाएंफूलो की तरह महकना होता हैं
लाजवाब पंक्तियाँ
सादर
आपका तहे दिल से आभार
हटाएंबेहतरीन
हटाएंसच !
जवाब देंहटाएंयु तनहा रहने का
शउर
सबको नही आता
तनहा होना अलग होता हैं
अकेले होने से ....
सत्य वचन !
जो जीता है वही जानता है !!
God Bless U (*_*)
आपकी सराहनीय दृष्टि का आभार !
हटाएं:) Beautiful...!
जवाब देंहटाएंआपकी सराहनीय दृष्टि का आभार !
हटाएंवाकई तनहा होने का शऊर सबको नहीं आता ! तन्हाई का हर एक लम्हा किस तरह मन और आत्मा पर भारी पड़ता है इसे हर कोई नहीं झेल सकता ! बहुत सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंआपकी स्नेही दृष्टि का बहुत धन्यवाद मित्र ,मेरा आभार मन की गहराई से स्वीकारें !
हटाएंआज की ब्लॉग बुलेटिन दिल दा मामला है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआप की सराहना पा कर अभिभूत हूँ . इस के लिए दिल से शुक्रिया. आप की ऐसे ही कृपा दृष्टि बनी रहे . दिल से शुक्रिया और सादर वन्दे.
हटाएंवाह.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर......
तनहा रहना भी एक हुनर है....
अनु
आपका धन्यवाद मित्र ,बहुत स्नेह भी !
हटाएंसही कहा....
जवाब देंहटाएंतन्हा होने का शऊर सबको नहीं आता...!!
. दिल से शुक्रिया और सादर वन्दे.
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार (10-04-2013) के "साहित्य खजाना" (चर्चा मंच-1210) पर भी होगी! आपके अनमोल विचार दीजिये , मंच पर आपकी प्रतीक्षा है .
सूचनार्थ...सादर!
आप की सराहना पा कर अभिभूत हूँ . इस मधुर टिपण्णी के लिए दिल से शुक्रिया. आप की ऐसे ही कृपा दृष्टि बनी रहे . दिल से शुक्रिया और सादर वन्दे.
हटाएंतनहा रहना सबके वश का काम नहीं ...
जवाब देंहटाएंएकदम सच और सच ....
. दिल से शुक्रिया और सादर वन्दे.
हटाएंमेरे लिखे शब्दों को शामिल करने का आपका दिल से आभार बहुत सुन्दर लिंक्स दिए हैं आपने .अपने हलचल ब्लॉग पर .. और अंत में गाना तो सोने पर सुहागा जैसे ......
जवाब देंहटाएंआपकी सराहनीय दृष्टि का आभार !
जवाब देंहटाएंवाह ... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंआपका दिल से आभार
हटाएंमैं आपके ब्लॉग की परिचयात्मक पंक्तियाँ पढ़ कर अभिभूत हूँ ... हर ऐब सही मुझमे, मगर आज भी मुझको ... अपनों से बदल जाने का अंदाज़ नहीं आया ...
जवाब देंहटाएंजैसे जैसे पढ़ती जा रही हूँ सोच रहीं हूँ की आज तक इतनी अच्छी रचनाओं से क्यूँ वंचित रही .... तनहा रहने का शऊर ... अपने आप में अनूठी कल्पना है ....
अब तो आपके ब्लॉग पर आना-जाना होता ही रहेगा ... इतनी सुन्दर रचनाओं से दूर नहीं रहा जा सकता ...
Manju Mishra
www.manukavya.wordpress.com
आपका स्वागत हैं मेरे ब्लॉग पर ....मैं रेगुलर ब्लॉग लेखन को लेकर ज्यादा गंभीर नही हूँ बस जो मन में भाव उमड़ आते हैं लिख देती हूँ और ब्लॉग पर पोस्ट कर देती हूँ ...... बहुत अच्चा लगता हैं जब कोई आपस प्रेरणा देता हैं तो लिखने का उत्साह बढ़ जाता हैं ....... तहे दिल से आभार
हटाएंबहुत अच्छी व्याख्या तन्हाई की लेकिन कोई समझे भी तो ....
जवाब देंहटाएंतन्हाई अक्सर उनको ले कर आती है ...
जवाब देंहटाएंफिर जब वो आती है तो खुद को भुला देता है इंसान ...
तन्हा रहने का शहूर---सबको नहीं आता
जवाब देंहटाएंक्या खूब कहा आपने
bahut sunder
जवाब देंहटाएंthnx sir
हटाएंshukriyaa ji
हटाएंNice one...
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 05 नवम्बर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएं