नन्ही चिरैया
हौले हौले कदमो से चलती
मैं नन्ही चिड़िया
तेरे घोंसले की
उड़ना हैं मुझे
छूना हैं अनंत
आकाश की ऊँचाई को
मेरे नन्हे पंखो में
परवाज नही
हौसला हैं बुलंदी का
भयभीत हैं अंदरूनी कोन
आकाश भरा हुआ हैं
बड़े पंखो वाले पक्षियों से
सफ़ेद बगुले ही अक्सर
शिकार करते हैं
मूक रहकर
माँ मैं
नन्ही चिरैया
कैसे ऊँचा उड़ पाऊंगी
इन भयंकर पक्षियों में
मैं कैसे पहचानू ?
यह उड़ा न के साथी
या दरिन्दे मेरी जात के
आसमा से कहो
थोडा ऊँचा हो जाये
मुझे उड़ना हैं अन्तरिक्ष तलक........Neelima
मैं नन्ही चिड़िया
तेरे घोंसले की
उड़ना हैं मुझे
छूना हैं अनंत
आकाश की ऊँचाई को
मेरे नन्हे पंखो में
परवाज नही
हौसला हैं बुलंदी का
भयभीत हैं अंदरूनी कोन
आकाश भरा हुआ हैं
बड़े पंखो वाले पक्षियों से
सफ़ेद बगुले ही अक्सर
शिकार करते हैं
मूक रहकर
माँ मैं
नन्ही चिरैया
कैसे ऊँचा उड़ पाऊंगी
इन भयंकर पक्षियों में
मैं कैसे पहचानू ?
यह उड़ा न के साथी
या दरिन्दे मेरी जात के
आसमा से कहो
थोडा ऊँचा हो जाये
मुझे उड़ना हैं अन्तरिक्ष तलक........Neelima
बेहद गहन भाव लिये ... मन को छूती पोस्ट
जवाब देंहटाएंआभार
shukriya mam
हटाएंबेहद गहन और संवेदन शील रचना सखी .........
जवाब देंहटाएंshukriyaa Aruna ji
हटाएंआज की ब्लॉग बुलेटिन बिस्मिल का शेर - आजाद हिंद फौज - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंThank u so much shivam ji
हटाएंऊँची उड़ान की बुलंद अभिलाषा
जवाब देंहटाएंडैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post बे-शरम दरिंदें !
latest post सजा कैसा हो ?
jarur sir .aapka blog bhi padhne jarur aayenge dhanywad
हटाएंशुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंसफ़ेद बगुले ही अक्सर
शिकार करते हैं
मूक रहकर
एक मूक कटाक्ष
सुन्दर पंक्ति
सादर
THNK U yASHODA
हटाएंTouching...
जवाब देंहटाएंTHNX Rahul
हटाएंMarmsparshi....
जवाब देंहटाएंthnx Monica
हटाएंआज सच ही किसी पर भरोसा नहीं .... उड़ान के साथी ही पंख कतार देते हैं .... मार्मिक अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंshukriya sangeeta ji
हटाएंसुंदर रचना के लिए आपको बधाई
जवाब देंहटाएंthnk u so much
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