इस से अच्छे वफादार ताले / कामगार कहा मिलेंगे ..........
सुबह से
मुह अँधेरे
काम करती माँ
नाश्ता बनाने से
टिफ़िन पैक करने तक
शाम तलक
बिखरा
घर सम्हालती माँ
रात की सब्जी से
सुबह पहने जाने वाले
कपड़ो की प्रेस्सिंग तक
फिर भी
घर चलाते हैं
आजकल के बेटे / बहु
अपनी कमाई से
सुविधाए जो दे रहे माँ- बाप को
शहर में ए। सी, टेलीविज़न और कार तक
इस से अच्छे वफादार ताले / कामगार कहा मिलेंगे ..........
नीलिमा शर्मा
मुह अँधेरे
काम करती माँ
नाश्ता बनाने से
टिफ़िन पैक करने तक
शाम तलक
बिखरा
घर सम्हालती माँ
रात की सब्जी से
सुबह पहने जाने वाले
कपड़ो की प्रेस्सिंग तक
फिर भी
घर चलाते हैं
आजकल के बेटे / बहु
अपनी कमाई से
सुविधाए जो दे रहे माँ- बाप को
शहर में ए। सी, टेलीविज़न और कार तक
इस से अच्छे वफादार ताले / कामगार कहा मिलेंगे ..........
नीलिमा शर्मा
मार्मिक सामाजिक कटाक्ष।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंsahi aur sateek vanrnan
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंवाकई ऐसे ताले कहाँ मिलेंगे ? सटीक
जवाब देंहटाएंशुक्रिया संगीता जी
हटाएंआभार ब्लॉग बुलेटिन
जवाब देंहटाएंआभार आपका दर्शन जी
जवाब देंहटाएंमाँ जैसे वपादार कामगार ताले कहां मिलेंगे, कटु पर सत्य ।
जवाब देंहटाएंshukriyaa asha ji
हटाएंसुन्दर व्यंग रचना !!
जवाब देंहटाएंshukriyaa pooran ji
हटाएंएहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब
जवाब देंहटाएं