सुबह से
मुह अँधेरे
काम करती माँ
नाश्ता बनाने से
टिफ़िन पैक करने तक
शाम तलक
बिखरा
घर सम्हालती माँ
रात की सब्जी से
सुबह पहने जाने वाले
कपड़ो की प्रेस्सिंग तक
फिर भी
घर चलाते हैं
आजकल के बेटे / बहु
अपनी कमाई से
सुविधाए जो दे रहे माँ- बाप को
शहर में ए। सी, टेलीविज़न और कार तक
इस से अच्छे वफादार ताले / कामगार कहा मिलेंगे ..........
नीलिमा शर्मा
मुह अँधेरे
काम करती माँ
नाश्ता बनाने से
टिफ़िन पैक करने तक
शाम तलक
बिखरा
घर सम्हालती माँ
रात की सब्जी से
सुबह पहने जाने वाले
कपड़ो की प्रेस्सिंग तक
फिर भी
घर चलाते हैं
आजकल के बेटे / बहु
अपनी कमाई से
सुविधाए जो दे रहे माँ- बाप को
शहर में ए। सी, टेलीविज़न और कार तक
इस से अच्छे वफादार ताले / कामगार कहा मिलेंगे ..........
नीलिमा शर्मा
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन मतदान से पहले और मतदान के बाद - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआभार ब्लॉग बुलेटिन
हटाएंमार्मिक सामाजिक कटाक्ष।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंsahi aur sateek vanrnan
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंवाकई ऐसे ताले कहाँ मिलेंगे ? सटीक
जवाब देंहटाएंशुक्रिया संगीता जी
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - रविवार -01/09/2013 को
जवाब देंहटाएंचोर नहीं चोरों के सरदार हैं पीएम ! हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः10 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra
आभार आपका दर्शन जी
हटाएंमाँ जैसे वपादार कामगार ताले कहां मिलेंगे, कटु पर सत्य ।
जवाब देंहटाएंshukriyaa asha ji
हटाएंसुन्दर व्यंग रचना !!
जवाब देंहटाएंshukriyaa pooran ji
हटाएंएहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब
जवाब देंहटाएं