एक जंग लगा पिन
एक जंग लगा पिन
मुचड़े से कागज पर
बिखरी हुयी चुडिया
आईने के सामने
मैली सी चादर
बिछी बिस्तर पर
यह बिखरे कपडे
उसके पैताने
एक भावात्मक
प्रतीकात्मक
लिय बेतरतीब फैली
यह चूड़ियाँ, चादर
कपडे और झूठे बर्तन
बयानी करती हैं
तुम्हारे अनकहे अहसासों की
तुम आजकल तनहा हो
तन से भी मन से भी
भावो और ख्यालो से भी
तुम्हारे पास नही हैं आजकल
तुम्हारी प्रिय "निविया "
तुम्हारे दिल में उसकी यादो ने
इतना गहरा असर छोड़ा हैं
और तुमने
उसकी उतारी चूड़ियों को
उसकी बिछाई चादर को
उसके लिखे कागज को
उसकी सब यादो को
बस बस ऐसे ही रख छोड़ा हैं
...............
नीलिमा शर्मा निविया
मुचड़े से कागज पर
बिखरी हुयी चुडिया
आईने के सामने
मैली सी चादर
बिछी बिस्तर पर
यह बिखरे कपडे
उसके पैताने
एक भावात्मक
प्रतीकात्मक
लिय बेतरतीब फैली
यह चूड़ियाँ, चादर
कपडे और झूठे बर्तन
बयानी करती हैं
तुम्हारे अनकहे अहसासों की
तुम आजकल तनहा हो
तन से भी मन से भी
भावो और ख्यालो से भी
तुम्हारे पास नही हैं आजकल
तुम्हारी प्रिय "निविया "
तुम्हारे दिल में उसकी यादो ने
इतना गहरा असर छोड़ा हैं
और तुमने
उसकी उतारी चूड़ियों को
उसकी बिछाई चादर को
उसके लिखे कागज को
उसकी सब यादो को
बस बस ऐसे ही रख छोड़ा हैं
...............
नीलिमा शर्मा निविया
रहस्यमय कविता
जवाब देंहटाएंदर्द बयाँ करती रचना
shukriya vibha ji
हटाएंवाह... गहरी बात... गहरे जज़्बात...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मानव
हटाएंवाह ,दर्द बयाँ करती कविता
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मदन मोहन जी
हटाएंहाल -ए- दिल बयाँ करती रचना
जवाब देंहटाएंशुक्रिया वंदना जी
हटाएंशुक्रिया शास्त्री जी ....आपकी हौसला अफजाई से मनोबल उच्च होता हैं
जवाब देंहटाएंbhawpurn rachna badhayi :)
जवाब देंहटाएंshukriya sunita ji
हटाएंगहरे जज़्बात....दर्द बयाँ करती रचना
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