तुझ में रब दिखता हैं यारा मैं क्या करू ???
लोग कहते हैं कि
सुबह उठते ही करो प्रभू के दर्शन
पर मैं जब भी
खोलती हूँ अपनी आँखे
मुंह अँधेरे
तुम सामने दिख जाते हो
बाल स्मित मुस्कान लिये
बिखरे बाल लिए
नींद में खोये से
तुम्हारी घनी पलके
तुम कभी कृष्ण
कभी शिव का रूप लगते हो
सजना!
अब तुम ही कहो
लोगो !!! मुझे किसी
इश्वर की क्या जरुरत
इनको जो देख लेती हूँ
आँखे खुलते ही !!
गर कोई हमसे कहे की रूप कैसा है खुदा का
जवाब देंहटाएंहम यकीकन ये कहेंगे जिस तरह से यार है....
संग गुजरे कुछ लम्हों की हो नहीं सकती है कीमत
गर तनहा होकर जीए तो बर्ष सो बेकार है..
superb.
शुक्रिया मदन मोहन जी
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शोर्य जी
हटाएंशुक्रिया शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंप्यार भरी सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना:- "झारखण्ड की सैर"
shukriya pradeep kumar ji
हटाएंभावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने... मन छूने वाली रचना नीलिमा जी
जवाब देंहटाएंशुक्रिया संजय जी
हटाएंमतलब तो रब को देखने की है .. किसी भी रूप में हो ..
जवाब देंहटाएं:) shukriya digambar ji
हटाएंअब तुम ही कहो लोगो !!!
जवाब देंहटाएंमुझे किसी इश्वर की क्या जरुरत
इनको जो देख लेती हूँ
आँखे खुलते ही !!---------
वाह प्रेम समर्पण और त्याग की सच्ची और ईमानदार अनुभूति
गजब ,बहुत सुंदर------
सादर
shukriya jyoti ji
हटाएंवाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
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