तुझ में रब दिखता हैं यारा मैं क्या करू ???

लोग कहते हैं कि सुबह उठते ही करो प्रभू के दर्शन पर मैं जब भी खोलती हूँ अपनी आँखे मुंह अँधेरे तुम सामने दिख जाते हो बाल स्मित मुस्कान लिये बिखरे बाल लिए नींद में खोये से तुम्हारी घनी पलके तुम कभी कृष्ण कभी शिव का रूप लगते हो सजना! अब तुम ही कहो लोगो !!! मुझे किसी इश्वर की क्या जरुरत इनको जो देख लेती हूँ आँखे खुलते ही !!

टिप्पणियाँ

  1. गर कोई हमसे कहे की रूप कैसा है खुदा का
    हम यकीकन ये कहेंगे जिस तरह से यार है....

    संग गुजरे कुछ लम्हों की हो नहीं सकती है कीमत
    गर तनहा होकर जीए तो बर्ष सो बेकार है..

    superb.

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  2. प्यार भरी सुन्दर रचना |

    मेरी नई रचना:- "झारखण्ड की सैर"

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  3. भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने... मन छूने वाली रचना नीलिमा जी

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  4. मतलब तो रब को देखने की है .. किसी भी रूप में हो ..

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  5. अब तुम ही कहो लोगो !!!
    मुझे किसी इश्वर की क्या जरुरत
    इनको जो देख लेती हूँ
    आँखे खुलते ही !!---------

    वाह प्रेम समर्पण और त्याग की सच्ची और ईमानदार अनुभूति
    गजब ,बहुत सुंदर------
    सादर

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  6. वाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...

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