यूं ही चलते चलते
बेवज़ह एक नज्म बन जाती हैं .
जब जब तुम मुझसे मुखातिब होते हो
लफ्ज़ भी गुनगुनाने लगते हैं संगीत
जब जब तुम मुझे अपनी कह जाते हो
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जैसे दिया हो किसी पीर ने रूहानी तागा ऐसे
या मिला हो प्रसाद में एक चमकता सिक्का जैसे
या गिरजे में जलती मोमबत्ती की सी लो सी
माँ तेरा वजूदइस कदर मुझ में घुल गया कैसे
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
कुछ लोग चुप हैं .....शोर मचाकर
कुछ लोग शोर मचा रहे हैं ...चुप रहकर
बगावत जारी हैं .ताकि सनद रहे ................
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
कुछ भी नही !!!
फिर भी
बहुत कुछ !!!
भीतर भीतर चलता हैं .............
अनचाहे ही ...अनजाने ही ...
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
उम्र भर
उम्र की चाह की
पल भर में
पल की उम्र फ़ना
अब उम्र लघु
या पल दीर्घ
पसोपेश में
आदमी !!!!! neelima
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जब जब तुम मुझसे मुखातिब होते हो
लफ्ज़ भी गुनगुनाने लगते हैं संगीत
जब जब तुम मुझे अपनी कह जाते हो
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जैसे दिया हो किसी पीर ने रूहानी तागा ऐसे
या मिला हो प्रसाद में एक चमकता सिक्का जैसे
या गिरजे में जलती मोमबत्ती की सी लो सी
माँ तेरा वजूदइस कदर मुझ में घुल गया कैसे
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कुछ लोग चुप हैं .....शोर मचाकर
कुछ लोग शोर मचा रहे हैं ...चुप रहकर
बगावत जारी हैं .ताकि सनद रहे ................
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कुछ भी नही !!!
फिर भी
बहुत कुछ !!!
भीतर भीतर चलता हैं .............
अनचाहे ही ...अनजाने ही ...
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उम्र भर
उम्र की चाह की
पल भर में
पल की उम्र फ़ना
अब उम्र लघु
या पल दीर्घ
पसोपेश में
आदमी !!!!! neelima
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आपकी लिखी रचना की ये चन्द पंक्तियाँ.........
जवाब देंहटाएंउम्र भर
उम्र की चाह की
पल भर में
पल की उम्र फ़ना
अब उम्र लघु
या पल दीर्घ
पसोपेश में
आदमी !!!!!
बुधवार 09/10/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
को आलोकित करेगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!
आभारी हूँ यशोदा जी
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (09-10-2013) होंय सफल तब विज्ञ, सुधारें दुष्ट अधर्मी-चर्चा मंच 1393 में "मयंक का कोना" पर भी है!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभारी हूँ शास्त्री जी
हटाएंजीवन के अलग अलग रंगों को एकत्रित किया ही ... बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंshukriya ji
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