दिसम्बर की आखिरी पूरी रात


दिसम्बर की आखिरी पूरी रात 
और पौष का महिना 
ठण्ड हैं कि थमती नही हैं 
कोहरे के आँचल में दुबकी 
मेरी यादे ठिठुर रही हैं 

जिन्दगी की पग्दंदियाँ
कब चौड़ी सडको पर खुली
और कब फिर से सकरी हुयी
यंत्रवत सी अनजाने में अनचाहे ही

कितनी बार रुदन फूटे
जब जब अपने छूटे
रुदाली सी अंखियाँ बरसी
तस्वीरो से मिलकर उनकी कई बार


कितनी मुस्कान बिखरी लबो पर
कितनी बार खिलखिलाए खुलकर
अपने बरसो बाद मिले तो
छल छल नीर बहा अँखियाँ से


तेरा (१३)साल बीत चला हैं
सब कुछ अर्पण करके तुझको
अब सबकुछ मेरा होगा
खुद को जगा के भीतर मुझको

नए सपनो की जोत जली हैं
मन की मुरझाई कली खिली हैं
नववर्ष की प्रतीक्षित नूतन बेला में
जाते दिसंबर को आखिरी सलाम मेरा



.......नीलिमा शर्मा निविया ....






















आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु

टिप्पणियाँ

  1. हमारी भी सलाम और नववर्ष की शुभकामनाएँ !
    नई पोस्ट मिशन मून
    नई पोस्ट ईशु का जन्म !

    जवाब देंहटाएं
  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी लिखी रचना बुधवार 01/01/2014 को लिंक की जाएगी...............
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर रचना !
    जो दर्द भरा बीत गया, उसको क्यों याद किया जाये
    सचमुच त्यौहार ही है जीवन,ये त्यौहार जिया जाये
    जो बीत गया न वश में है,आने वाला तो वश में हो
    है नया वर्ष आने वाला,सबको सुख प्रेम दिया जाये
    अपने दुःख में तो दुःख पाते,सबके जीवन का अनुभव है
    औरों के दुःख में सुख मिलता,औरों का दुःख जो पिया जाये
    ************नव वर्ष की मंगल कामनाएं*********

    जवाब देंहटाएं
  5. नव वर्ष बीते वर्ष का हर दर्द भुला दे ... आमीन ...
    नव वर्ष की मंगल कामनाएं ...

    जवाब देंहटाएं
  6. कोमल भावो की
    बेहतरीन........आपको भी नववर्ष की शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

लोकप्रिय पोस्ट