Gunaah ya galti
गलती और गुनाह
फ़र्क़ होता हैं
दोनों में
जिसे तुम गलती भी नही कहते
कई बार गुनाह होता हैं
दूसरो की नजर में
और कई बार गुनाह भी
छिप जाते हैं
गलतियों की आड़ लेकर
अहंकार अभिमान
और क्रोध
अहंब्रह्मास्मि
जैसी सोच
करदेती हैं रिश्ते को
तार -तार
आज अहसास नही
इस पारदर्शी डोर के टूटने का
लेकिन वक़्त
गलतियों को गुनाह साबित कर ही देता हैं
एक दिन। ………………………………………… नीलिमा शर्मा निविया
आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु
आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन यक लोकतंत्र है, वोट हमारा मंत्र है... मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंवक्त बलवान है ...
जवाब देंहटाएंगुनाहों की सजा मिलती है। बराबर मिलती है।
जवाब देंहटाएंगुनाह और गलती ,दोनों में करीबी रिश्ता है और दोनों में अंतर भी है !
जवाब देंहटाएंबेटी बन गई बहू
अहंकार अभिमान
जवाब देंहटाएंऔर क्रोध
अहंब्रह्मास्मि
जैसी सोच
करदेती हैं रिश्ते को
तार -तार
… बिलकुल सही
रिश्तों की मजबूती में अहंब्रह्मास्मि वाली सोच आ जाय तो उन्हें टूटते देर नहीं लगती
bahut hi achha likha hai, dil ko chhoo gaya
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
बहुत सुन्दर ......
जवाब देंहटाएंbilkul sahi kaha didi.....sundar sarthak rachna
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और सटीक
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