मुश्किल रास्ता
कैसे घूरता हैं वोह नुक्कड़ पर खड़ा लड़का
घर से स्कूल जाती नव्योवना को
नीली चुन्नी को देह पर लपेटे
छिपाने की कोशिश में
अपने अंग-प्रत्यंग को
अक्सर मिल जाती हैं उसकी नजर
उन घूरती नजरो से
और टूट जाता हैं
उसके साहस का पहाड़
और उसकी देह
लगा देती है दौड़
पञ्च मीटर की
सेकंड के पांच सोवे हिस्से में
उसके बाद घंटो लगते हैं
उसे सहेजने में
समेटने मेंअपनी बिखरी सांसो को
कल भी तो होगा न
नुक्कड़ पर खड़ा लड़का
और एक बार फिर .....
बिखरेगी उसकी साँसे
दौड़ लगाएगी उसकी कमजोर टाँगे
लड़की होना आसान नही होता .......
आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, अमर शहीद राजगुरु जी की १०७ वीं जयंती - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंक्षमा चाहती हूँ तबियत नासाज होने के कारण आने में देरी हुयी आभार आपका
हटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सु-मन
हटाएंवाकई , आसान नहीं होता
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
शुक्रिया मोनिका जी कब से आपका ब्लॉग भी नही पढ़ा हमने
हटाएंदौड़ लगाएगी उसकी कमजोर टाँगे
जवाब देंहटाएंलड़की होना आसान नही होता ..
.... सच आसान नहीं है लड़की होना !
उसे तो एक पत्थर खोपड़ी में मार देना चाहिए ऐसे घूरते लड़को को
कहाँ आसान होता उस उम्र में हिम्मत बटोरना ,, शुक्रिया
हटाएंsach....hum sabne aisa kabhi na kabhi jarur jhela hai
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शास्त्री जी परन्तु समय से आपकी सूचना देख न पायी क्षमा चाहती हूँ
जवाब देंहटाएंसॉरी यशोदा जी स्वास्थ्य ठीक नही था समय से नही आ पायी आभार आपका
जवाब देंहटाएंशुक्रिया रेवा
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लडकियों कि मन:स्थिति का सजीव चित्रं
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