Suno na.......
एक बूँद पानी की
तपते सहरा में
ठंडी हवा का झोंका .
घुटती गरम दोपहर मैं
उष्मा देता सूरज
सर्दी की सुबह का
क्या क्या उपमाये गढती हूँ
तुम्हारे लिये
खामोश नज़र तुम्हारी
सब कुछ कह जाती हैं
मंद स्मित मुस्कान से
पर अनबोले लफ्जों से .
क़ी ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।
तुम्हारे स्वतंत्र आयाम की नीलिमा हूँ
मैं आकाश हु तुम्हारी उडान का
मैं सोपान हु तुम्हारी पहचान का
मैं हूँ तो तुम हो तुम हो तो मैं हूँ
सुनो न ......................... आज कुछ लफ्जों मैं बयां करो मेरे लिए
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें