Maa
मूक अवाक् निशब्द माँ
और उसके सामने
उसकी अपनी जायी संतान
बूढ़े कापते हाथो से आज
कीमती कांच की बरनी छूट गयी
चुपके से लड्डू निकलते हुए
अपने और अपने पोते के लिए
बहु की जुबां और बेटे के हाथ
दोनों का वार चुभ गया
आग लग गयी सीने में
पानी आगया आँखों में
आंसू का सबब
बेटे के हाथ उठने की
शर्म से था या
बरनी के टूटने के
अफ़सोस से
या लड्डू न मिलने से
पोता अभी तक सोच
रहा हैं .दादी के उंगुली थामे
चुपके से बालकोनी में ..........................Neelima sharma
मार्मिक...
जवाब देंहटाएंयही जिंदगी है...
बहुत कुछ ऐसा होता है , जो अफसोसजनक ही कह सकते हैं..
बहुत ही मार्मिक .... :'(
जवाब देंहटाएंपढ़ कर रोगटें खड़े हो गए :(
हकीक़त में जिस पर गुजरती होगी ,उन्हें कैसा लगता होगा ,मैं कल्पना भी नहीं कर पा रही !!
shukriya sarahniy shabdo ka Vibha n mukesh jee
जवाब देंहटाएंक्या जिंदगी ऐसी भी होती है ????
जवाब देंहटाएंअगर हां तो ...हम शर्मसार है अपनी इस पीढ़ी के संस्कारों से और उनको दी गई शिक्षा से|
बहुत मार्मिक... शर्म आती है ऐसी संतानों पर...
जवाब देंहटाएंshukriya Anju n Kailash jee
जवाब देंहटाएंआज की दुनिया का सच
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक...
नीलिमा जी मेरी एक योजना है. मेरे ब्लॉग पर आइए और अवगत कराइए....