Deewali ka shagun
होंठो से रिसता खून
सूनी आँखे
लहराती सी चाल
बिखरे से बंधे बाल
बनीता
आँगन लीप रही हैं
आज धनतेरस हैं
किसनू लोहे की
करछी खरीद लाया हैं
शगुन के लिए
आते ही उसे
घर की लक्ष्मी पर
अजमाया हैं
बनिता की माँ ने
पहली दीवाली का
शगुन
नही भिजवाया हैं
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंत्यौहारों की शृंखला में धनतेरस, दीपावली, गोवर्धनपूजा और भाईदूज का हार्दिक शुभकामनाएँ!
संवेदनशील प्रस्तुति - दीपोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबेह्तरीन अभिव्यक्ति .
जवाब देंहटाएंबहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति...
मंगलमय हो आपको दीपो का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार..
Thank u so much Shastreejee, Madanmohan jee ,Rakesh jee
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंजितनी भी तारीफ करूंगी वो कम ही रहेगी नीलिमा जी,आशा है आप इसी में सबकुछ समेट लेंगी।
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