धरती माँ !!

धरती माँ !!
आधी से ज्यादा तुम पानी से भरी हो 
देखने में कितनी हरी हरी हो 
फिर भी पानी को तरसते हैं प्राणी !!!

धरती माँ!!
गर्भ में तुम्हारे अनेको रतन 
प्रसव पीड़ा भी असीम तुम्हे 
फिर भी कुपोषण के शिकार तुम्हारे बच्चे!!!

धरती माँ!!
तुम कितनी धीर सहनशील 
सहती तुम हर अत्याचार उग्र 
फिर भी मानव इसपर कितने व्यग्र!!!!!

धरती माँ !!!
तुम पालती सारी संतान 
नही मानती खुद को महान 
फिर भी भूखे मारते माँ- बाप को बच्चे!

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