अंकुरण
.सब्ज खवाब से सींच कर
मैंने बोया हैं बीज
नयी आशाओ का
कोसी कोसी धूप
तुम्हारी आगोश की
रिमझिम रिम झिम
ख़ुशी वाले आंसू की
बरसात
तुम्हारे नरम से
लफ्जों का स्पर्श
काफी होंगे
इसके अंकुरण के लिए
सुनो तुम आओगे न
मेरे खवाबो की जमीन पर
मेरे अहसासों को पल्लवित करने
मेरी सब पुरानी भूलो को विस्मृत करके ...........
हमें नव-प्रेम का सृजन करना है ..Neelima Sharma
मैंने बोया हैं बीज
नयी आशाओ का
कोसी कोसी धूप
तुम्हारी आगोश की
रिमझिम रिम झिम
ख़ुशी वाले आंसू की
बरसात
तुम्हारे नरम से
लफ्जों का स्पर्श
काफी होंगे
इसके अंकुरण के लिए
सुनो तुम आओगे न
मेरे खवाबो की जमीन पर
मेरे अहसासों को पल्लवित करने
मेरी सब पुरानी भूलो को विस्मृत करके ...........
हमें नव-प्रेम का सृजन करना है ..Neelima Sharma
बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति दी है नीलिमा जी.
जवाब देंहटाएंबाह . सुन्दर प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंमेरे जो भी सपने है और सपनों में जो सूरत है
उसे दिल में हम सज़ा करके नजरें चार कर लेगें
जीवन भर की सब खुशियाँ ,उनके बिन अधूरी है
अर्पण आज उनको हम जीबन हजार कर देगें
शुक्रिया ..मदन मोहन जी ,
जवाब देंहटाएंशुक्रिया .. राजेंद्र जी
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