"पगडंडियाँ"
"पगडंडियाँ"28 काव्य सुगंधियो का अलग अलग पगडण्डी से चलकर एक रास्ते पर आना . जब से मुकेश सिन्हा , अंजू चौधरी एवं रंजना भाटिया स्वर सम्पादित पुस्तक हाथ में हैं नित नए रंग-रस से सरोबार मेरा मन मोह रही हैं हर पगडण्डी का अपना विस्तार अपनी परिधि परन्तु मंजिल एक . हर नयी पगडण्डी का अपना अनोखा सफ़र ..
सबसे पहले रचनाये हैं
डॉ वंदना सिंह जी की
बहुत खूब लिखती हैं वंदना जी , सपनो की बेल से , ' यह लब मुस्कराए हैं"" दिल की लगन से" तो 'व्याकुलता भी हारी "हैं सब कविताये सुंदर शब्द संयोजन लिय प्रभावित करती हैं क्या खूब कहा वंदना जी ने
" मेरे मशगले कभी किसी को रास ना आसके
< मैंने हर ताल्लुक बात से नही जज्बात से जिया "
मेरे अश्रर में हैं आग , ना बुझाने को पानी ढूढिये
इन्ही से लाऊंगी सैलाब , मुझसी दीवानी न ढूढिये
अब पढ़ते हैं मिनाक्षी मिस्श्रा तिवारी को
पेशे से इंजिनियर शब्द्दो की धनी "कान्हा " की प्रेम भक्ति से सरोबार हैं उनकी कविताये " यकीन "एवं "अनकही "बहुत ही प्रभावशाली हैं उनके ही शब्द
" जब जब मौन को विजय करना चाहा हैं
शब्द फूट फूट कर निकले हैं """
उनके रचनात्मक होने का परिचय देते हैं
कभी चहकती चिड़िया जैसी / कलरव गुंजन करती थी / आज रूंधी रूंधी आवाज हैं / कोशिश फिर भी खुश रहने की / रूठ कर फिर मन ने की / आज उसकी यही बिसात हैं .बहुत खूब बयानी एक लड़की की कहानी मिनाक्षी की कलम से
रेखा श्री वास्तव जी किसी परिचय की मोहताज नही उनकी कविताए " दर्द किसी सूने घर का < कामना ,दोहरा सत्य बहुत ही उम्दा हैं कितना सुन्दर कहा उन्होंने " जो जीता हैं किताबो में वोह कभी तनहा नही होता " उनकी कविता " कैसी दीवाली _ कौन सी लक्ष्मी " झाक्झोर्र्ती हैं भीतर तलक बच्चो के दूर जाने का दर्द उनकी कलम कुछ यूं बयां करती हैं
"बसाया था यह घर दो से फिर हम चार हुए
फिर दो में सिमट गये तो दिल सिहर गया
आशियाँ तो बनाया था तेरे ही लिय मैंने
जिन्दगी पीला इस में यह ख्वाब ही बिखर गया !"
रागिनी मिश्र जी बहुतही सुंदर ग़ज़ल लिखती हैं साथ ही उनकी छंद मुक्त कविता भी सराहनीय हैं विभीषण एवं स्पर्श अनोखी सी हैं ... क्या खूब कहती हैं रागिनी जी
" बहुत सम्हाल हैं मुझको , ए जिन्दगी तूने ..
आ आज तू , मेरी बाहों का सहारा ले ले ....
जब भी टूटी हूँ तेरे सामने ही बिख्ररी हूँ
समझ कर जी की मेरी
एक इशारा ले ले !!
.."" बहुत ही उम्दा शेर इनकी सभी गजलो के ।
सोनिया बहुखंडी गौड़ जी की कविताए कही अकेलेपन से सरोबार तो कही आपने से बाते करती सी बखूबी अपने भावो से न्याय करती हैं . ' मेरे संवादों में प्रियतम तुम ही बस तुम छाए '
कहती सोनिया जी शब्दों के विरह- प्रवाह में बह जाती हैं .
."यादे काला नाग बन गयी
डसने को बेवक्त चली आती हैं
दिल जब भी टूट'ता हैं मेरा
टीस आँखों मैं नजर आती हैं "
रीता मधु शेखर बहुमुखी प्रतिभा की धनी कविता की हर विधा मैं पारंगत हैं इनकी कविता " शिव का नटराज अवतार " पढना एक आलौकिक अनुभव हैं
और क्या खूब बयां किये जज्बात इन्होने जो हर नारी को अपने ही जज्बात लगते हैं "
"" शिकायत कर नही पाती खिलाफत कर नही पाती
उसे सहने की आदत हैं बगावत कर नही पाती
जमाने का कहर सहना गवारा भी नही उसको
जवाबो को पलटने की हिमाकत कर नही पाती
धरोहर मैं मिली संदूक भर के सीख जो उसको
लुटाती हैं खुले हाथो रियायत कर नही पाती
अनुपमा त्रिपाठी जी की सुन्दर शब्दांकन लिय लम्बी कविता " बड़ी ही कठिन हैं डगर पनघट की ? अद्भुत हैं गहरे भावो से सजी इनकी कविताए अनोखी छाप छोडती हैं
खासकर " विषयगत मद में डूबा
चिन्मय विमुख
क्यों छुपा हुआ हैं इंसान
हर समय एक नकाब में
मर्म का भेद
समझ समझ के भी
कठिन गणित सा
कुछ समझ ना आये
कैसे समझू मैं ?
अमित आनंद इनकी कविताए ही इनका परिचय दे देती हैं खुद के बारे में कहते हैं " मैं सार भी हूँ सन्दर्भ भी " और सही हैं इनकी हरेक कविता गहरे तक भेदती हैं चाहे " मासूम " हो या " खाली बर्तन " इनकी हर कविता समाज से जुडी होती हैं और समसामयिक भी
" अंजुरियों से चदाये जाते हैं
मंदिरों में
तन और पेट काट कर
प्रसाद/फूल/सिक्के/धन
मुठ्ठियों में भींच कर
उन्हें भोग लगाया जाता हैं
आम तौर पर
पुजारी / पण्डे
पाप नही करते
पेशे से इंजिनियर स्वभाव से लेखक चिन्तक कवि कुमार राहुल तिवारी की पैनी दृष्टि आस- पास की घटनाओ को अपने शब्दों में पिरोकर ' गुब्बारों में अंतर "करती "दशहरे का रावण "" बंधुत्व ' भाव से "केवल एक पृष्ट की" कामना करती हैं और उनकी कलम कामना करने लगती हैं "
"ऐ दुनिया तेरे रंग अजीब
तेरे ढंग अजीब , सब कुछ अजीब
इस परिवर्तन शील दुनिया में
कुछ रिश्तो को तो रहने दो सिथर "
धीर गंभीर स्वभाव के गुरमीत सिंह जी अपने भीतर उठते अंतर्द्वंदो को जब लफ्जों में बयां करते हैं तो लफ्ज़ बोलने लगते हैं '" पत्थर के सनम'हो या' नश्तर" या" ख्वाब तेरे '
एक एक शेर दिल की गहराई बयां करता हैं कितना सही लिखा इन्होने
"गुफ्तगू के रास्ते , ना जाने कब खवाबो में उतर गये
यादी का एक झोंका आया , खुशबू से बिखर गये
मीत आकेले में मुस्कराने की सौगात देकर
हमें तनहा छोड़ , कारवां संग गुजर गये !"
गुंजन श्री वास्तव जी कितना अच्छा लगा आपको पढना जैसे खुद से रूबरू होना .... लफ्ज़ आपके रहे और जुडाव हमने भी महसूस किया उनसे चाहे "जदोजहद "हो या 'एक खयाल
"जिज्ञासा" हो या' आमंत्रण "
मासूमियत तो देखिये लफ्जों की ..
" जब मैं बहुत कुछ कहना चाहती हूँ
तो खामोश रह जाती हूँ
चुप रहती हूँ तो तुम टोक देते हो
शरमा जाती हूँ तो तुम हंस देते हो "
अपने आप से बाते करने वाली खुद में खुश हो जाने वाली गुंजन अग्रवाल कभी सोचती हैं " ना जाने कैसा था वोह मन " तो कभी ' लाल चमड़े से मधे छोटे से डिब्बे " में खो जाती हैं उम्र को दरकिनार कर उनके भीतर जीती एक किशोरी पिस्टल भी चलाना चाहती हैं तो बाइक भी और "डायरी के आखिरी पन्ने पर ' लिखते लिखते "वोडका के शॉट "भी लगाती हैं
" बहुत इतराते हो न तुम !
देखना एक दिन तुम्हे भी
वोडका शॉट्स बनाकर पी जाऊंगी
जिस्म से लेकर रूह तक जिन्द्दगी की ,आखिरी घूँट के साथ
मरने से बस एक पल पहले ?"
नीता पोरवाल जी की भाषा शैली बहुत ही विश्लेष्णात्मक हैं " खिड़की से चाँद को झांकते देख " " मार्च की "" सुबह सुबह " " खिडकियों की झिर्रियो सेझांकते 'कैनवास "पर उनके शब्द एक चित्र उकेर देते हैं "बेसाख्ता जिद्दी कोहरा / हाथ बाधा कर सहेजने की कोशिश जो करती हूँ / हाथो की लकीरों में नमी छोड़ जाता हैं / और महसूस होती रहती हैं मुझे / तुम्हारी बातो की छुवन ।
बोधमिता जी की रचनाये जीवन के अनछुए पहलू भी कविता में शामिल करती हैं इन्देर्धनुष से रंग व्याकुलता और बेबसी बखूबी बयां करती हैं भावो को सुन्दर शब्संयोजन से सजी " घात' में पतंग को बेटी की तरह प्रस्तुत किया हैं जो की बहुत ही उम्दा हैं अपने श्याम से उनका प्यार कितनापावन हैं
देखिये एक बानगी
सांवली सी सूरत में / मोहिनी मूरत में/ श्याम तुम जचते हो अधरों की हसी से / बातो की मस्ती से / लम्बे लम्बे बालो में / तिरछी कलि आँखों में / श्याम तुम जंचते हो
मुकेश गिरी स्वामी जी की कविते सहज सरल सी भावो का संप्रेक्षण करती हैं ...." सितमगर बन जाओ हक हैं तुमको" लिखकर नाम मेरा मिटा कर तो देखिये " अच्छी कविताएं हैं
नायिका की तारीफ़ में तो उनके पास शब्द ही कम पढ़ गये .... आँखे तेरी झरने सी/ खुशिया उस में बहती हैं जैसे/ सूरज लालिमा को तरसे / लाली लबो में बसी हो जैसे
/खूबसूरत हो हाँ खूबसूरत हो / खिला कमल हो जैसे / कैसे तेरी तारीफ़लिखू / शब्द कम हो गये हो जैसे
कमश ........
कोई कमी यदि है तो पुस्तक में नहीं समीक्षा में होगी.....ये मेरी पहली समीक्षा है
होमशॉप18: http://
बुकअड्डा: http://www.bookadda.com/
इंफीबीमः http://www.infibeam.com/
बहुत बहुत धन्यवाद्...
जवाब देंहटाएंसमीक्षा का मतलब होता है, बुक को किसी ने पूरा पढ़ा...
बहुत बेहतरीन समीक्षा..
दिल से धन्यवाद्...
बहुत बढ़िया समीक्षा .......आगे भी इंतज़ार रहेगा
जवाब देंहटाएंthank u upasna
हटाएंshukriyaa upasna .....abhi yeh pahla bhaag hain
जवाब देंहटाएंअभी तक की समीक्षा बेहद कसी हुई सार्थक है ...
जवाब देंहटाएंthank u Anju
हटाएंBahut hi sundar samiksha... Aapne sare kaviyon ka sundar ansh pesh kiya hai...
जवाब देंहटाएंthank u Rahul
हटाएंपहली समीक्षा की बधाई ........
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी समीक्षा
तहे दिल से शुक्रिया नीलिमा जी ......
thank u Meenakshi
हटाएंआपकी समीक्षा पुस्तक एवं कवियों का परिचय देने में पूरी तरह कामयाब है...बहुत आभार नीलिमा जी !!
जवाब देंहटाएंthank u Rita
हटाएंbahut hai acchi smaiksha ki hai aapne neelima ..behtreen panktiyaan li hai rachnaaon mein se ..:)badhaai
जवाब देंहटाएंThank you Ranju ji
हटाएंकुछ मेहनत, कुछ शुभकामनायें, कुछ लोगो का साथ, कुछ काव्यात्मक सोच और रच गई साझा कविता संग्रह "पगडंडियाँ" ।
जवाब देंहटाएंऔर फिर उस रचनाओ को अपने समीक्षा में आपने जीवन दिया .. आभार... :)
Thank u MUKESH JI
हटाएंबहुत ही उम्दा समीक्षा ......आभार !
जवाब देंहटाएंThank u Ragini
हटाएंसराहनीय प्रयास ... मेरी ओर से ढेर सारा शुक्रिया ...
जवाब देंहटाएंमुस्कराहट दे गयी आपकी सुन्दर समीक्षा ... मेरी अभिव्यक्ति को पसंद किया ...आपका एक बार फिर बहुत शुक्रिया ..
Thank u Neetta
हटाएंसटीक और सराहनीय समीक्षा ... आप को आभार और ढेर सारी बधाई !
जवाब देंहटाएंthank you Vandana
हटाएंअत्यंत सुन्दर समीक्षा ...बहुत सहज तरीके से कविताओं के घूँट पिलाती हुई ...ताकि हर कविता की ख़ुशबू मन में बस जाये ...और बहुत बहुत शुक्रिया मेरी पंक्तियों पर भी नज़रे इनायत करने के लिए .... :)
जवाब देंहटाएंbahut badhiya ki haiu sameeksha neelima ..
जवाब देंहटाएंAUR CHUNNINDA PANKTIYAA'N LEKAR AAPNE BATA DIYA KI AAP BEHTAR LIKHTI AUR SAMJHTI HAIN.
BAHUT BAHUT BADHAYI.
बढ़िया समीक्षा ....!!
जवाब देंहटाएंFor More Beautiful & Nice Dresses, Salwar-Kameez Collection Visit Plz………
जवाब देंहटाएंSalwar-Suit