घर की कन्या तो रूठी हैं !!!!!!!

आखिर मार  ही दिया न एक झापड़ !!!

 नही चाहता था  अपमान करना 
छोटी सीउस  चाहत का  


नवरात्र हैं , कन्या पूजनी हैं !मुझे !!


 पर कैसे सह जाता  भगवती प्रसाद 

 बेटी का पराये मर्द  से रातो को 
 लुक्क छिप कर  छत  पर मिलना 


 कैसे जिमायेगा अब वोह कन्या 


अबके अष्टमी पर ????

घर  की कन्या तो रूठी हैं !!!!!!!

टिप्पणियाँ

  1. आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 17/04/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. बेटी को उचित-अनुचित समझा कर मनौवल करें ..।
    बड़ो को क्षमा शोभे छोटे को उत्पात ..।

    जवाब देंहटाएं
  3. सच में पिता की चिंता और स्नेह दोनों ही जायज है ......

    जवाब देंहटाएं
  4. निःशब्द ... कितना करारा सत्य लिखा है ...

    जवाब देंहटाएं
  5. marna kisi baat ka hal nahi h kuchh chije pyar se aur samjha kr bhi ki ja skti hai.ek pita hone ke nate gussa aana lajmi h lekin usse apne bachho ko kai bar maf bhi krna padt h.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. kabhi kabhi kuch galat hote dekh twarit aakrosh bhi utpanna hota hain na pita ka hridyaa naram hain tabhi usko bura lag raha hain parantu beti ne ise pita ke sneh roop main nhi liya na or naraj ho gyi uska krity kya sahi hain ???Thank you so much

      हटाएं
  6. मार्मिक और भावपूर्ण रचना
    बधाई

    आअग्रह है मेरे ब्लॉग मैं भी सम्मलित हों

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

लोकप्रिय पोस्ट