नाराज हैं मुझसे
आजकल नींद नाराज हैं मुझसे
सिरहाने भी अब कोसने लगे हैं
वास्ता देते हैं मुझे तुम्हारी बाहों का
सपने भी अब मुझे टोकने लगे हैं
सवालों का ढेर लगा हैं इर्द गिर्द
जवाबो में ताने चुभोने लगे हैं
तन्हायी का आलम न पूछ सजना
आंसू भी आँखों के कोर भिगोने लगे हैं
सनम जब से मेरे पीठ मोड़ कर सोने लगे हैं
Thank u Yashoda ji
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