मंगलवार, 28 मई 2013
Bindi
कितनी ओल्ड फैशंड हो तुम
इत्ती बड़ी सी बिंदी लगाती हो !!!
कल सरे राह चलते चलते
कह गयी एक महिला
जिसकी आँखों पर पर तो
ढेर सारा काजल था पर
माथा सूना सा
नही जानती वोह
बिंदी का फैशन से क्या लेना
यह जज्बात हैं
मेरे उनसे जुड़ जाने के
उनके मेरे हो जाने के
बिंदी मेरी
उनको याद दिलाती हैं
हरदम
जल्दी घर लौट कर आने की
बिंदी मेरी याद दिलाती हैं सबको
मेरे सुहागन होने की
मुझे याद रहता हैं सुबह सुबह
लाल बिंदिया से माथे को सजाना
और बिंदिया में \
मैं पा लेती हूँ अपने और उनके
एक होने की जुबानी को
मुझे प्यार हैं अपनी बिंदिया से
अपने आउट डेटेड होने से .............................Neelima Sharrma
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दीदी
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
अप्रतिम रचना
सादर
thank u Yashoda
हटाएंमुझे प्यार हैं अपनी बिंदिया से अपने आउट डेटेड होने से .....
जवाब देंहटाएंमुझे भी प्यार था अपनी बिंदिया से
नाज़ था अपने आउट डेटेड होने से ....
ढेरों शुभकामनाएं और अनेकों आशीर्वाद ....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बुधवार (29-05-2013) बुधवारीय चर्चा ---- 1259 सभी की अपने अपने रंग रूमानियत के संग .....! में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
thank u so much shastri ji
हटाएंबहुत सुन्दर रचना | आभार
जवाब देंहटाएंthank u Tushaar ji
हटाएंसुन्दर रचना !!
जवाब देंहटाएंthnk u pooran ji
हटाएंबहुत सुन्दर ख्याल संजोये हैं।
जवाब देंहटाएंthnk u Vandana ji
हटाएंकिसी के कहने से कुछ नहीं होता बस जो अच्छा लगे वही करना चाहिए ..सबका अपना अपना नजरिया है ..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
bahut anmol se bhaw hai aapki rachna ke...!!
जवाब देंहटाएंthnk u parul ji
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