मैं एक प्रश्नचिन्ह सी
मैं एक प्रश्नचिन्ह सी
सामने खड़ी रहती हूँ
तुम्हारे
और तुम
मेरे हर प्रश्न का उत्तर बन
बाँहे पसार देते हो
और समेट लेते हो
मेरे सारे अंतर्द्वंद को
अपनी भीनी सी महक
और मुस्कराहट में
और मैं हर सुबह
नए पश्नो संग
तुम्हारे सामने होती हूँ
खुशकिस्मत सी
और तुम बिना थके
बिना किसी उकताहट के
मेरी जिज्ञासाए
शांत करते हो
सुनो न ....
मेरे प्रश्न सिर्फ तुम्हारी
नजदीकियों के मुन्तजिर
होते हैं
किसी जवाब के नही
मैं ..................नीलिमा
सामने खड़ी रहती हूँ
तुम्हारे
और तुम
मेरे हर प्रश्न का उत्तर बन
बाँहे पसार देते हो
और समेट लेते हो
मेरे सारे अंतर्द्वंद को
अपनी भीनी सी महक
और मुस्कराहट में
और मैं हर सुबह
नए पश्नो संग
तुम्हारे सामने होती हूँ
खुशकिस्मत सी
और तुम बिना थके
बिना किसी उकताहट के
मेरी जिज्ञासाए
शांत करते हो
सुनो न ....
मेरे प्रश्न सिर्फ तुम्हारी
नजदीकियों के मुन्तजिर
होते हैं
किसी जवाब के नही
मैं ..................नीलिमा
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंthnk u SANGEETA JI
हटाएंवाह बेहतरीन ....
जवाब देंहटाएंTHNK U SADA JI
हटाएंसुंदर!
जवाब देंहटाएंThank u Sanjay ji
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