कैक्टस
जाने क्यों
लोगो की फितरत
काँटों सी होने लगी हैं
वक़्त के साथ
आँगन में अब
फूल नही
केक्टस
देखायी देते हैं
जिसकी फितरत
दुष्ट लोगो सी होती हैं
फूल तो उन पर भी खिलते हैं
पर प्यार से छू देने पर भी
चुभ जाते हैं भीतर तक
मुझे तो आज भी
फूल(दोस्त) ही पसंद हैं
गेंदे के
चंपा के
चमेली के जैसे
भीनी भीनी खुशबू
( स्वाभाव)वाले
कम से कम
काँटों /केकटस की सी
फितरत तो नही रखते .नीलिमा शर्मा
सिक्के के दोनों पहलुओं से देखा जाये जिंदगी तो मुझे
जवाब देंहटाएंकैक्टस में लगा फूल ज्यादा पसंद है