सिर्फ एक पल को
अभी
आँगन में
अपनी उदास
अकेली
मायूस
नखरीली
ख़ामोशी को
पुकारा
पुचकारा
सहलाया
दुलराया
और फिर
आसमा को देख
चाँद तारो से भरा
गुफ्तगू करने लगी
खुद ही ख़ामोशी से
ख़ामोशी भी कितनी बातूनी हो जाती हैं ना .................. मौका मिलते ही .............. नीलिमा
shukriyaa yashoda ji
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण लेखनी...!
जवाब देंहटाएंshukriyaa Anurag ji
हटाएंहर शब्द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिये बधाई के साथ शुभकामनायें ।
जवाब देंहटाएंshukriyaa bhaskar ji
हटाएं