ख़ामोशी भी कितनी बातूनी

सिर्फ एक पल को अभी आँगन में अपनी उदास अकेली मायूस नखरीली ख़ामोशी को पुकारा पुचकारा सहलाया दुलराया और फिर आसमा को देख चाँद तारो से भरा गुफ्तगू करने लगी खुद ही ख़ामोशी से
ख़ामोशी भी कितनी बातूनी हो जाती हैं ना .................. मौका मिलते ही .............. नीलिमा

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