प्रस्तुतकर्ता
नीलिमा शर्मा Neelima Sharma
मत रो भारत माता
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाये
मत रो भारत माता
आज देख बिखर रहा है तेरा परिवार
सबने अपने अपने बाँट लिए है कोने
सबको फ़िक्र है तो बस अपने खुद के हिस्से की
वह कमाता है तो अपने हिस्से के लिए
जब कुछ टूट जाये उसके हिस्से का तो
भरपाई तुझसे करने को है कहता
पर्वत टूट रहे जो दीवार थे तेरे घर की
सरके जो फर्श हो गयी आज बदहाल
तेरे ही अपने सपूतो की लालची
नियत का यह सब कमाल है
सोना उपजने वाली माँ
अब तेरे खुद के बच्चे है भूखे
ठिठुरती ठण्ड में तेरे सपूत
जंग जिनके लिये है लड़ते ...............गद्दार हुए है कुछ बच्चे
वोट मिले थे जिनको सच्चे
तेरा ही सब धन अब
स्विस बैंक में है भरते
अपने घर के आगन देख
किलकारिया गूजती थी जहाँ
आज चीत्कार लबो पर
सीना छलनी है करती
मेहमान जहाँ पर
भगवन होता था कभी
लोट खसोट कर आज उसको
रुसवा तुझको है करते
दरवाज़े तेरे घर के
अब नही रहे सुरक्षित
हिमालय ने फ़र्ज़ निभाया
समंदर से मौजे दुश्मन है भरते
ओ जगत जननी भारत माता
उठ जाग ! जरा रोद्र रूप में आ
जो भटक रहे है तेरे बच्चे
उनको जरा सही राह पर ला
आने वाली नयी पीढ़ी
क्या सीखेगी इन सबसे
यह जो तेरे पूत कपूत हुए है
हमें निजात दिला इन सबसे ....................ओ दुनिया मत हो यूँ मतवाली
यह घर नही टूटने वाला
वह देख इस पवन धरती पर
आने वाली नस्ल का नया उजाला है
भारत माता लाख हो तेरे कपूत यहाँ
तेरा कोई एक पूत हो जाये अगर सपूत
इस आगन की तो बात ही क्या
दुनिया में तेरा परचम लहराने वाला है
पर भारत माता जरा देख तो सही
तेरे आगन में हो रहा क्या गढ़ बढ़ झाला है ............नीलिमा शर्मा
Happy Independence Day
आज देख बिखर रहा है तेरा परिवार
सबने अपने अपने बाँट लिए है कोने
सबको फ़िक्र है तो बस अपने खुद के हिस्से की
वह कमाता है तो अपने हिस्से के लिए
जब कुछ टूट जाये उसके हिस्से का तो
भरपाई तुझसे करने को है कहता
पर्वत टूट रहे जो दीवार थे तेरे घर की
सरके जो फर्श हो गयी आज बदहाल
तेरे ही अपने सपूतो की लालची
नियत का यह सब कमाल है
सोना उपजने वाली माँ
अब तेरे खुद के बच्चे है भूखे
ठिठुरती ठण्ड में तेरे सपूत
जंग जिनके लिये है लड़ते ...............गद्दार हुए है कुछ बच्चे
वोट मिले थे जिनको सच्चे
तेरा ही सब धन अब
स्विस बैंक में है भरते
अपने घर के आगन देख
किलकारिया गूजती थी जहाँ
आज चीत्कार लबो पर
सीना छलनी है करती
मेहमान जहाँ पर
भगवन होता था कभी
लोट खसोट कर आज उसको
रुसवा तुझको है करते
दरवाज़े तेरे घर के
अब नही रहे सुरक्षित
हिमालय ने फ़र्ज़ निभाया
समंदर से मौजे दुश्मन है भरते
ओ जगत जननी भारत माता
उठ जाग ! जरा रोद्र रूप में आ
जो भटक रहे है तेरे बच्चे
उनको जरा सही राह पर ला
आने वाली नयी पीढ़ी
क्या सीखेगी इन सबसे
यह जो तेरे पूत कपूत हुए है
हमें निजात दिला इन सबसे ....................ओ दुनिया मत हो यूँ मतवाली
यह घर नही टूटने वाला
वह देख इस पवन धरती पर
आने वाली नस्ल का नया उजाला है
भारत माता लाख हो तेरे कपूत यहाँ
तेरा कोई एक पूत हो जाये अगर सपूत
इस आगन की तो बात ही क्या
दुनिया में तेरा परचम लहराने वाला है
पर भारत माता जरा देख तो सही
तेरे आगन में हो रहा क्या गढ़ बढ़ झाला है ............नीलिमा शर्मा
Happy Independence Day
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंशुक्रिया दर्शन जी
हटाएंस्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंशुक्रिया एवं आपको भी
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी का लिंक आज बृहस्पतिवार (15-08-2013) को "जाग उठो हिन्दुस्तानी" (चर्चा मंच-अंकः1238) पर भी होगा!
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शुक्रिया रूपचंद्र शास्त्री जी मेरे शब्दों को इतना मान देने का हार्दिक आभार
हटाएंबहुत सुंदर भाव .... स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंशुक्रिया रंजना जी
हटाएंअतिसुन्दर ,स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया राजेंदर जी
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