स्वीकारोक्ति एक पुरुष की
मेरे नाम से मुझे
जब पुकारती हैं एक लड़की
और तहाती हैं मेरे धुले हुए कपडे
झुन्झुलाता हुआ मैं
झिड़क देता हूँ अक्सर
और तब भी खामोश रहती हैं
बिना किसी उम्मीद के
प्यार में होती हैं न वोह !!!
और मैं उदास सा करवट बदलता हुआ
याद करता हूँ सिर्फ एक जिस्म
जिस्म जो दिन रात \ मेरे इर्द गिर्द
घूमता हैं एक निश्चित परिधि में
बिना अपना ख्याल किये!!!!
यह लडकियां कितनी कमजर्फ होती हैं
कमबख्त होती हैं
कितना भी दुत्कारो और फिर पुचकारो
सावन की झड़ी सी बरसती रहती हैं
बस एक पल के सानिध्य के लिय
माँ कहती थी !!!
लडकिया ख्याल भर नही होती
एक उम्र भर होती हैं
और इस एक उम्र में जी लेती हैं
आने वाली सात उमरो को
सिर्फ सात फेरो का खेल खेलकर
पैरो के तले पर गुदगुदी से
खिलकर हसने वाली लड़की
रो देती हैं जरा सी बात
अनसुनी करने पर
और अक्सर
लडकिया भूल जाती हैं
बड़ी बड़ी बाते
और सीने से लगा
छोटी छोटी बाते
घुलती रहती हैं / शक्कर सी
राइ का पहाड़ बना रोती हैं/ लिपट कर
पहाड़ जैसे मुसीबतों से
पार पा जाती हैं /अक्सर चुपचाप सी
दम्भी अहंकारी आजाद होने का नाटक करती
अक्सर माँ सी पिघल जाती हैं
ओर
एक जायज माँ बन जाने को
क्या क्या नही कर जाती लडकिया
और बिस्तर पर पढ़ी सलवटो सी
सहम जाती हैं
पत्थर
जो नही होती
दिखने में
मोम की तरह सी
फिर भी बनकरसख्त सी
उम्र भर निभाती हैं
रिश्ता
रिसता हुआ भी
यह कमबख्त लडकिया
.Neelima Sharrma
गहरी बात कहती कविता..... बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मोनिका जी
हटाएंलड़की की जिन्दगी की कसमकस को प्रस्तुत करती रचना
जवाब देंहटाएंlatest post: यादें
shukriya kaliprasad ji
हटाएंबहुत अच्छी तरह से उभारा है एक अंतर्वेदना को
जवाब देंहटाएंshukriyaa upasna
हटाएंएक नारी की पूरी ज़िंदगी रच दी है ...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया संगीता जी
हटाएंदेव भी नहीं समझ पाए .... लड़की कब क्या कर जाए ...उन्हेंअगर जीत सकते हैं तो बस प्यार से ..... बहुत अच्छी रचना है :)
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने गुंजन
हटाएंनारी के अंतर्मन को उभरता एक खुबसूरत रचना ...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया रंजना जी
हटाएंबहुत गहरी बात लिखी नीलू... एक औरत की ज़िंदगी ...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया रमा
हटाएंबहुत सुन्दर रचना ..
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
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