न जाने क्यों
मुझे सुनाई दे रही हैं सिसकियाँ
एक
मिटटी की गुडिया की
सबके सामने सजी सी रहती हैं एक आले में
खूब सूरत शो पीस सी
लेकिन कोई नही देख पता
उसकी आँखों से बूँद बूँद
गिरते आंसुओ को
न पहचान पता हैं
दुनिया के शोर में उसके रुदन को
वोह गुडिया
जो कभी पसंदीदा खिलौना थी
किसी की हर वक़्त
आज आले मैं रखे उसे
ढूढ रहा हैं
नए खिलोने
बाजार में
गुडिया आज भी इंतज़ार में हैं
कि कभी याद आएगा उसको
वोह अतीत
वोह बचपन
वोह सच्चे खेल
क्युकी उसने सुना था
रिश्ते और अहसास
खिलौनो से भी जुड़ते हैं
पहले प्यार की तरह
पहला खिलोना भी
हमेशा याद रहता हैं .......नीलिमा
मुझे सुनाई दे रही हैं सिसकियाँ
एक
मिटटी की गुडिया की
सबके सामने सजी सी रहती हैं एक आले में
खूब सूरत शो पीस सी
लेकिन कोई नही देख पता
उसकी आँखों से बूँद बूँद
गिरते आंसुओ को
न पहचान पता हैं
दुनिया के शोर में उसके रुदन को
वोह गुडिया
जो कभी पसंदीदा खिलौना थी
किसी की हर वक़्त
आज आले मैं रखे उसे
ढूढ रहा हैं
नए खिलोने
बाजार में
गुडिया आज भी इंतज़ार में हैं
कि कभी याद आएगा उसको
वोह अतीत
वोह बचपन
वोह सच्चे खेल
क्युकी उसने सुना था
रिश्ते और अहसास
खिलौनो से भी जुड़ते हैं
पहले प्यार की तरह
पहला खिलोना भी
हमेशा याद रहता हैं .......नीलिमा
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन बच्चा किस पे गया है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंपहला खिलौना, पत्नी, पहला प्यार..........................................
जवाब देंहटाएंजी आशा जी
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