आंसू के चंद कतरे

जो  कहा नही जाता
लबो से
 उसे अक्सर रोया जाता हैं
दिल से
 और बहाया जाता हैं
आँखों से
 लफ्ज़ होते हैं
 हर बूँद में
 आंसू की
 और लोग अक्सर
 उनको छिपाते हैं
 सबसे
खासकर
अपने अपनों से
 क्युकी
 जिन्दगी के
 रहस्य
या तो लब
बयां करते हैं
 या फिर
 आंसू के चंद
कतरे  ..........नीलिमा शर्मा 

टिप्पणियाँ

  1. क्या बात है,दिल के दर्द को कहा नहीं जाता,रोया जाता है.
    सत्य

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  2. सच है ... आंसूं तो वो सब भी बयाँ कर देते है जो लब भी न कह पाते हैं ... इनको तो छुपाना ही पड़ता है अपनों से ... भाव पूर्ण ...

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  3. सुंदर रचना । बधाई आपको नीलिमा जी ।

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