tum -hum





एक दिन
तुझ बिन


सुबह शाम 
तुम्हारा नाम


चाँद रात
तुम्हारी बात


जान मेरी
सदके तेरी

दिल बेक़रार
तेरा इंतज़ार



रोया दिल
मुझे मिल

कब मिलोगे
क्या कहोगे ..........नीलिमा शर्मा


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...
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आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु

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