" चाबियाँ"
चाबियाँ
तब तक कीमती होती हैं
जब तक रहती हैं ताले के इर्द - गिर्द
और तब तक बना रहता हैं
उनका वजूद और कीमत
जिस दिन ताला जंक से भर जाता हैं
और फिट नही रहती
उसकी अपनी ही चाभी
उसके वजूद में
लाख तेल डालने और कोशिशो के बावजूद !!!
तब हाँ तब!!!!
बनवाई जाती हैं उसके लिय
एक नयी चाभी
जो खोल सके उसके बंद कोषो को
और नयी चाबी के वजूद में आते ही
फेंक दी जाती हैं
पुरानी चाबी एक अनुपयोगी वस्तु की तरह
किसी भी दराज में या कूढ़ेदान में
क्युकि
चाबी एक स्त्रीलिंग वस्तु हैं
उसका हश्र यही होता आया हैं
सदियों से ...................
नीलिमा शर्मा निविया
आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु
चाबियाँ
तब तक कीमती होती हैं
जब तक रहती हैं ताले के इर्द - गिर्द
और तब तक बना रहता हैं
उनका वजूद और कीमत
जिस दिन ताला जंक से भर जाता हैं
और फिट नही रहती
उसकी अपनी ही चाभी
उसके वजूद में
लाख तेल डालने और कोशिशो के बावजूद !!!
तब हाँ तब!!!!
बनवाई जाती हैं उसके लिय
एक नयी चाभी
जो खोल सके उसके बंद कोषो को
और नयी चाबी के वजूद में आते ही
फेंक दी जाती हैं
पुरानी चाबी एक अनुपयोगी वस्तु की तरह
किसी भी दराज में या कूढ़ेदान में
क्युकि
चाबी एक स्त्रीलिंग वस्तु हैं
उसका हश्र यही होता आया हैं
सदियों से ...................
नीलिमा शर्मा निविया
आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (4-1-2014) "क्यों मौन मानवता" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1482 पर होगी.
जवाब देंहटाएंसूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
सादर...!
सवाल उठाती रचना....आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर उपमा पर प्रश्नवाचक !
जवाब देंहटाएंनया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |
नई पोस्ट विचित्र प्रकृति
नई पोस्ट नया वर्ष !
बढ़िया है |
जवाब देंहटाएं