नियति हैं नारी की

हर लड़की बीजती हैं सपने यौवन की दहलीज़ पर सलोने से सजीले से सुनहरे सपने और फिर बंद कर उनको मुठी में चली आती हैं साजन की देहरी पर और बिखेर देती हैं उनकी खुशबू अपने आस- पास सपने अंकुरित होंगे या नही निर्भर रहता हैं मिलने वाले प्यार पर कुछ के सपने मिटटी में ही दम तोड़ देते हैं और कुछ अंकुरण की कोख से बाहर ही निकाल पाते हैं कुछ सपने पल्लवित ,पुष्पित होने से पहले रौंद दिए जाते हैं फिर भी लडकिया सपने बीजना बंद नही करती सपनो की क़िस्म बदल जाती हैं बस और फसल का उगने का बेसब्री से रहता हैं इंतज़ार उनको और अछि फसल के लिय मन्नते / व्रत हजारो करती हैं क्युकी तब वोह लडकियां नही रहती माँ बन जाती हैं , बीबी बन जाती हैं और उनके सपने अपने लिय नही अपनों के लिय होते हैं बीजना और फसल उगाना . नियति हैं नारी की


















आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु

टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना शनिवार 08/02/2014 को लिंक की जाएगी............... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    कृपया पधारें ....धन्यवाद!

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  2. माँ बन जाती हैं , बीबी बन जाती हैं
    और उनके सपने अपने लिय नही अपनों के लिय होते हैं
    बीजना और फसल उगाना . नियति हैं नारी की
    सच्ची अभिव्यक्ति

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  3. और उनके सपने अपने लिय नही अपनों के लिय होते हैं बीजना और फसल उगाना . नियति हैं नारी की

    bahut hi sunder bhaav

    shubhkamnayen

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