होली के रंग
एक चुटकी गुलाल
रंग होता लाल
आँखों में आँखे
रंग दिए गाल
पानी भरे गुब्बारे
रात में भरकर सारे
छुप कर लगा निशाना
भीगे उनके कपडे सारे
गुझिया नमकीन मिठाई
सलहज साली भोजाई
रंग ही तो आज सबको
क्या इसकी उसकी लुगाई
फाग गीत और ढोल
भूल गये हम वो होली
इतिश्री अब होती बस
हैप्पी होली जैसे बोल
नीलिमा शर्मा Nivia
भाटिया जी खुश हैं
आज उन्होंने जमकर खेली हैं
साथ वाली अहलावत भाभी से होली
हर बरस बीबी के संग होली मानते थे
एक चुटकी रंग गाल पर लगाकर
बस खुश हो जाते थे
इस बार होली मिलन मैं जाऊँगा
जम कर होली मना ऊँगा
सोच कर मन ही मन हर्षाये
बीबी घर पर खेले होली
कॉलोनी के सारे युवा ,
उम्र के हो या मन से
होली मिलन में खेले होली
आज तो भैया जम के
घर आकर जो देखा हाल
मन ही मन घबराए
उन्होंने ने तो सिर्फ एक
की जोरू संग खेली होली
यहाँ अहलावत कृष्ण कन्हैया बन
सारी कॉलोनी में छाये
क्या बूढ़ी क्या कमसिन बाला
खुद उनकी अपनी बीबी
रंग रही थी उनके दुश्मन को
घर के बाहर लगा के ताला
हाथ पकड़ कर बाँह मरोड़ कर
बीबी को घर लाये
पलट के बोली
बुरा न मानो यह तो थी होली
देवर के संग बन के हम जोली
आज तो जैम के खेली होली
तुम घर रहते तो
तुम संग होली होती
न तुम मस्त होते न
मैं मदमस्त होती
अबसुन लो तुम मेरी बोली
बुरा न मानो सजन यह हैं होली....नीलिमा शर्मा Nivia
बुरा न मानों होली है!!!!!! इस बार सजन ने हमसे शर्त लगायी हैं खेलेंगे जमकर होली उनसे एक फिरंगन मेरी सहेली मेरे घर पर आई है देख जिसे इनकी भी बांछे खिल आई है नीला / पीला /लाल/गुलाबी रंगों की थाली सजाई हैं सरसों के तेल मालिश के संग इतर की महक भी उनसे आई हैं पर भूल गये वोह प्यारे साजन हम भी उन्ही की लुगाई हैं अपना पुराना सूट पहना के सहेली को हमने उनकी कफ्तान चुराई हैं बच्चो के संग भेज चौबारे फिरंगन को दो घूँट भांगहोंठो से लगायी हैं रंग के अपना पूरा चेहरा / बॉडी लिपट कर उनसे होली मनाई हैं नशे का असर सर पर नाचा धूम मोहल्ले मैं दोनों ने मचाई हैं फिरंगन ने देख के ऐसी होली खूब लम्बी विडिओ बनायीं हैं भांग के नशे में हमने भी जेज म्यूजिक पर दादरा ठुमरी सुनाई हैं साँझ तलक खेली हमने होली साजन हमको समझे फिरंगन सहेली नशा उतरने के बाद देख हमारी सूरत उनकी उढ़ी चेहरे से हवाई हैं जिन्दगी भर हारी उनसे
आज उनकी मैंने यह गत बनायीं हैं सर पर हाथ धर कर सोचे मेरे प्रभू एक बात यही समझ में आई हैं बीबी से भगवान् न जीते कभी मैंने तो बेकार मैं शर्त लगायी हैं अब न खेलू मैं किसी के भी संग होली कसम मेरे सर की उन्होंने खाई हैं .....नीलिमा
आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु
वाह .... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनाएं