चुप्पिया
चुप्पिया
जब गूँज बनकर
दिमाग में धमकने लगे
और
खामोशिया भी
खुद से गुफ्तगू करने लगे
तब
मेरे लफ्ज़
मुझे राहत देते हैं
अनजाने में
अनचाहे शब्द भी
जब
कलम से निकलते हैं
कुछ
बहने लगता हैं भीतर
शायद
चुप्पी से जन्मा गर्दा
ख़ामोशी से पनपा लावा
अपनों पर बरसे
इसके पहले
उतार लेती हूँ
इन्हें
कागज के मासूम टुकडो पर
यह कागज के टुकड़े
जो बलि चढ़ जाते हैं
मेरे मौन की
और
बना जाते हैं मुझे
मजबूत
फिर से
लड़ने को अपने
एकांत से
मौन रहना
मेरी आदत नही हैं
नियति बन रही हैं
सुनो ना !
कुछ पल मेरे साथ रहो
कुछ मुझे पढो
कुछ पढ्वाओ
मुझे भी जीना हैं
तुम्हारे
प्रेमसिक्त शब्दों के शोर में .............नीलिमा शर्मा Nivia
—जब गूँज बनकर
दिमाग में धमकने लगे
और
खामोशिया भी
खुद से गुफ्तगू करने लगे
तब
मेरे लफ्ज़
मुझे राहत देते हैं
अनजाने में
अनचाहे शब्द भी
जब
कलम से निकलते हैं
कुछ
बहने लगता हैं भीतर
शायद
चुप्पी से जन्मा गर्दा
ख़ामोशी से पनपा लावा
अपनों पर बरसे
इसके पहले
उतार लेती हूँ
इन्हें
कागज के मासूम टुकडो पर
यह कागज के टुकड़े
जो बलि चढ़ जाते हैं
मेरे मौन की
और
बना जाते हैं मुझे
मजबूत
फिर से
लड़ने को अपने
एकांत से
मौन रहना
मेरी आदत नही हैं
नियति बन रही हैं
सुनो ना !
कुछ पल मेरे साथ रहो
कुछ मुझे पढो
कुछ पढ्वाओ
मुझे भी जीना हैं
तुम्हारे
प्रेमसिक्त शब्दों के शोर में .............नीलिमा शर्मा Nivia
आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु
सुनो ना !
जवाब देंहटाएंकुछ पल मेरे साथ रहो
कुछ मुझे पढो
कुछ पढ्वाओ
मुझे भी जीना हैं
सुंदर अभिव्यक्ति
चुप्पिया
जवाब देंहटाएंजब गूँज बनकर
दिमाग में धमकने लगे
और
खामोशिया भी
खुद से गुफ्तगू करने लगे
तब
मेरे लफ्ज़ ............................बहुत सुंदर.
बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंस्वागत टिप्पणी को एक बार पढ़ लीजिये !
latest post कि आज होली है !
उनकी क़िस्मत का सितारा, कैसा होगा यह लोग भला, क्या जाने..? उस डूबने बाले ने महफिल में, ना जाने किस किस को पुकारा होगा..?
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