आखिरी लम्हे
आखिरी लम्हे
खोया तो बहुत मैंने
पाया बहुत कम
समय अपनी चाल से
चलता रहा चाले
और मैं मूक अवाक सी
देखती रही
उसकी धोखा धडी
और बहुत पीछे रह गयी
.
.
अपने से
अपनों से
उनसे जुड़े
अपने हर सपने से
खोया तो बहुत मैंने
पाया बहुत कम
समय अपनी चाल से
चलता रहा चाले
और मैं मूक अवाक सी
देखती रही
उसकी धोखा धडी
और बहुत पीछे रह गयी
.
.
अपने से
अपनों से
उनसे जुड़े
अपने हर सपने से
___________________ नीलिमा शर्मा Nivia
आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु
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