चल मन अब उठ

चल मन अब उठ !!! 
कब तक आंसू बहायेगा 
एक दिन कोई कहेगा 
धीरज रखो 
अगले दिन 
हुह!!
कहकर
आगे बढ़ जाएगा
आंसू तेरे
अपने हैं
दामन भी भीगा सा
चुन्नी के कोने से
चुपके से
पोंछ के
आँखे
समय भागता जायेगा
चल मन अब उठ !!!
कब तक आंसू बहायेगा

आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु

टिप्पणियाँ

  1. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (02-01-2015) को "ईस्वीय सन् 2015 की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा-1846) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    नव वर्ष-2015 आपके जीवन में
    ढेर सारी खुशियों के लेकर आये
    इसी कामना के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. आपको सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ .....!!

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  3. सुन्दर रचना , चलना ही जीवन है ,चलना ही जीवन का विस्तार है

    जवाब देंहटाएं

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