जिन्दगी
जिन्दादिली से
जीना हैं
जिन्दगी को
जो मिलती हैं
ख्वाब सी
खुशबू
अभी तलक
उस् में
अहसास की
जीना हैं
जिन्दगी को
जो मिलती हैं
ख्वाब सी
खुशबू
अभी तलक
उस् में
अहसास की
उम्र हैं कि
महक रही हैं
नफासत से
जिसे भूल गयी
जिन्दगी की किताब में
रखकर
महसूस हो रही हैं
गुलाब के इत्र सी
फिजाओं में
मौसम में आते बदलाव सी
महक रही हैं
नफासत से
जिसे भूल गयी
जिन्दगी की किताब में
रखकर
महसूस हो रही हैं
गुलाब के इत्र सी
फिजाओं में
मौसम में आते बदलाव सी
आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु
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