सूना सूना सा
१. आँगन कितना सूना सा हैं
हर घर का
कभी यहाँ सुबह सवेरे चहकती थी
चिड़ियाँ
और बाबा उनको दाना खिलाते थे
हु हु करते
और पायल की रुनझुन करती
बेटियाँ
आस पास किल्कारिया मारती थी
अब आँगन में चिड़ियाँ नही आती
दाना चुगने
न अब आँगन मैं किलकती हैं
बेटियाँ
वज़ह कोई भी हो
उदास तो आगन हैं ना
सूना सूना सा .
आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु
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