जब मिलती हैं आहट किसी के आने की


खुशिया बिखर जाती हैं
गुलाबी गालो पर 
जब मिलती हैं 
आहट 
किसी के आने की 
उसका ( शायद ) 
अपना हो जाने की 

सपने जो देखे थे 
अंतर,मन में 
स्पंदन जो हुए थे
तन में
आ जाती हैं बेला
शर,माने की

अपने अपनों को
छोड़ देना
नए रिश्तो को
जोड़ लेना
प्रीत अपनी
लगने लगती हैं
अनजाने की

आँखों का शराबी हो जाना
खयालो में
खुद ही हाथ फेरनाअपने
बालो में
चाह होती हैं उसको
दिल की धरकन सुनाने की

खुशिया बिखर जाती हैं
गुलाबी गालो पर
जब मिलती हैं
आहट
किसी के आने की
उसका ( शायद )
अपना हो जाने की .....नीलिमा शर्मा















आपका सबका स्वागत हैं .इंसान तभी कुछ सीख पता हैं जब वोह अपनी गलतिया सुधारता हैं मेरे लिखने मे जहा भी आपको गलती देखाई दे . नि;संकोच आलोचना कीजिये .आपकी सराहना और आलोचना का खुले दिल से स्वागत ....शुभम अस्तु

टिप्पणियाँ

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (04-11-2015) को "कलम को बात कहने दो" (चर्चा अंक 2150) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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